
-द मॉर्निंग क्रॉनिकल हिंदी डेस्क
नई दिल्ली, 23 जनवरी, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हादिया मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एनआईए विवाह में हुए अपराध के बारे में जांच कर सकता है लेकिन वह किसी के विवाह की स्थिति के बारे में जांच नहीं कर सकता.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने विवाह को इस जांच से अलग रखने को कहा है.
लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस बात की जांच नहीं कर सकती कि 24 साल की हादिया की शफीन से शादी वैध है या नहीं. अगर उसे इस शादी से कोई शिकायत नहीं है तो बात ही खत्म हो जाती है. ऐसा कर हम एक गलत परंपरा की शुरुआत करेंगे.
जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि यह विवाह विवाद से परे है. हादिया बालिग है. इस पर न तो पक्षकारों को सवाल उठाने का हक है और न ही किसी कोर्ट या जांच एजेंसी को. इस तरह इस शादी की जांच एनआईए नहीं कर सकती.
ज्ञात हो कि केरल के कोट्टायम ज़िले के टीवीपुरम की अखिला अशोकन ने धर्म परिवर्तन के बाद हादिया जहां के रूप में शफीन जहां से निकाह किया था. इस मामले को हादिया के पिता अशोकन ने लव जिहाद का नाम देते हुए केरल उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था.
कोर्ट ने इसको स्पष्ट रूप से कहा कि जांच एजेंसी शादी की वैधता को छोड़कर बाक़ी तमाम चीज़ों की जांच कर सकती है लेकिन शादी की वैधता में कोई गडबडी का प्रश्न ही नहीं है.
पिछले नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को स्वतंत्र कर दिया था और उसे हादिया की इच्छा अनुसार होम्योपैथी में अपना इंटर्न पूरा करने की पूरी छूट दी थी. हादिया तमिलनाडु में शिवराज होम्योपैथिक कॉलेज में अपना इंटर्नशिप पूरा करना चाहती थी.
मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय किया गया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय केरल उच्च न्यायालय के हादिया के विवाह को निरस्त करने के निर्णय की वैधता की जांच करेगी.