
अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कैंपस में बाहरी लोगों द्वारा निकाली गई संकल्प यात्रा पर सुरक्षा, धर्मनिरपेक्षता और वैचारिक प्रतिबद्धता को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
जेएनयू में ऐसा पहली बार हुआ है, जब राम मंदिर के लिए इस तरह की कोई रैली बाहरी लोगों द्वारा निकाली गई है। एबीवीपी के नेता जहां इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता रहे हैं, वहीं जेएनयू छात्र संघ प्रशासन पर कैंपस के भगवाकरण का आरोप लगा रहा है।
हालांकि, कैंपस में संकल्प यात्रा निकालने की अनुमति देने या न देने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि 9 दिसंबर को रामलीला मैदान में धर्म सभा का आयोजन किया जाने वाला है। यह यात्रा उसी के लिए थी।
जेएनयू छात्र संघ के सचिव एजाज अहमद ने बताया कि बुधवार सुबह 8:30 बजे से लेकर 10:30 बजे तक निकाली गई इस संकल्प यात्रा में एक ट्रक पर कई लोग सवार थे।
एजाज अहमद राथर ने कहा कि कैंपस में 16 फरवरी की घटना और छात्र नजीब अहमद के गायब होने के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बतौर छात्र संघ सचिव भी यदि मैं कैंपस में दाखिल होता हूं तो सुरक्षा अधिकारी मेरे कार्ड की जांच करता है, लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि संकल्प यात्रा में इतनी बड़ी संख्या में लोग आए और उनको आसानी से प्रवेश दे दिया गया। इसका तो साफ मतलब है कि प्रशासन की सहमति से यहां पढ़ रहे लोगों को दक्षिणपंथी ताकतें डराना चाहती हैं।
वहीँ जेएनयू शिक्षक संघ ने भी संकल्प यात्रा के तहत कैंपस में आई भीड़ पर सवाल खड़ा किया है।