
नई दिल्ली : JNU के टीचर पर सेक्सुअल हैरसमेंट के आरोप पर एक बार फिर प्रशासन और यूनियन की टकरार हो गई है। इसी साल अप्रैल में सामने आई एक स्टूडेंट की इस शिकायत पर जेएनयू की इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी ने शिकायत को गलत बताया है।
ख़बरों की माने गलत शिकायत के आरोप में आईसीसी की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि उस स्टूडेंट की यूनिवर्सिटी में एंट्री बैन की जाए। आईसीसी की रिपोर्ट पर वीसी को आखिरी फैसला लेना होता है। इस रिपोर्ट की सिफारिशों के सामने आने पर जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि ऐसे फैसले सुनाकर आईसीसी खाप पंचायत की तरह काम कर रही है।
उन्होंने आईसीसी चेयरपर्सन के इस्तीफे की मांग की है। यूनियन का कहना है कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस मामले की जांच के लिए चीफ प्रॉक्टर या चीफ सिक्यॉरिटी ऑफिस में शिकायत करने वाली स्टूडेंट जब भी कैंपस में आए तो उसके साथ दो महिला सिक्यॉरिटी गार्ड हों। यह सिफारिश जेएनयू के जेंडर जस्टिस के खिलाफ है।
यूनियन ने यह भी कहा है कि प्रशासन ने 1999 में बनी जेंडर सेंसटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरसमेंट (GSCASH) की जगह पिछले साल सितंबर में आईसीसी थोपी है, जबकि GSCASH सभी यूनिवर्सिटी के लिए एक मॉडल थी। पिछले कुछ महीनों में आईसीसी की परफॉर्मेंस से साफ है कि वो फेल है और सही प्रोसेस से काम नहीं करती है।