
जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के कैम्पस से रहस्यमय परिस्थितियों में लापता होने के करीब दो साल बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को ‘क्लोजर रिपोर्ट ’ दाखिल करने की सोमवार को इजाजत दे दी।
उच्च न्यायालय नजीब की मां फातिमा नफीस के इस आरोप से सहमत नहीं हुआ कि सीबीआई राजनीतिक मजबूरियों के चलते क्लोजर रिपोर्ट रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है।
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने फातिमा के इस आरोप को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में इस अदालत ने जांच की निगरानी की, इसलिए वह याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं है कि सीबीआई ने निष्पक्षता से काम नहीं किया, या यह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए किसी दबाव में है, या इस बारे में इसके इस फैसले की राजनीतिक मजबूरियां हैं।
नजीब के लापता होने के सात महीने बीतने के बाद भी उसके अता – पता के बारे में दिल्ली पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा, जिसके बाद पिछले साल 16 मई को जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।
फातिमा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि ‘मिनेसोटा प्रोटाकॉल’ के तहत वे इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन करने के हकदार हैं।
हालांकि इसके बाद अदालत ने यह भी कहा कि ‘केस डायरी’ का अवलोकन सिर्फ अदालत करेगी। इसका ब्योरा शिकायतकर्ता के साथ साझा करने की जरूरत नहीं है।
(साभार पीटीआई)