
महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच पूरी करने की अवधि बढ़ाने के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को निचली अदालत के उस फैसले को निरस्त कर दिया था जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को हिंसा के इस मामले में जांच पूरी करने और आरोप-पत्र दायर करने के लिए ज्यादा समय दिया गया था। कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में कई जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के मामले में दख़ल देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ़्तारी की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का अनुरोध भी ठुकरा दिया था।
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद के सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। इस सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी।
(इनपुट पीटीआई)