मल्लाह, निषाद एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु बिहार सरकार की केंद्र सरकार को सिफ़ारिश




नई दिल्ली, 31 मई, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क)। मल्लाह, निषाद एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु बिहार सरकार द्वारा केंद्र सरकार को आज अनुशंसा भेजी गई। इसकी जानकारी स्वयं मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर दिया।

नीतीश कुमार की ओर से किए गए ट्वीट में संलग्न विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार ने मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चॉयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने के लिये अनुषंसा इथनोग्राफिक अध्ययन रिपोर्ट के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेज दी है।

इसमें यह भी लिखा है कि वर्ष 2015 में राज्य सरकार द्वारा मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चॉयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने के लिए अनुशंसा जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजी गयी थी तब जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को इन जातियों पर इथनोग्राफिक अध्ययन कराकर रिपोर्ट के साथ अनुशंसा भेजने की मांग की थी। केंद्र सरकार की मांग पर राज्य सरकार द्वारा अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान, पटना से मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चॉयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति के संबंध में इथनोग्राफिक अध्ययन कराया गया। अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान, पटना द्वारा इथनोग्राफिक अध्ययन कर अनुकूल रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गयी है।

अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान, पटना द्वारा सौंपी गयी अनुकूल रिपोर्ट के आलोक में मुख्यमंत्री श्री नीतीष कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चॉयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु अनुशंसा इथनोग्राफिक अध्ययन रिपोर्ट  के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को प्रेषित की गयी है।

बिहार में महा पिछड़ी जातियों की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा निशाद समुदाय का है इसलिए इसे एक अहम वोट बैंक की तरह देखा जाता है। बिहार की 5 प्रतिशत आबादी मल्लाहों की है।

2015 में मल्लाहों के नेता मुकेश साहनी ने इस मांग को लेकर 2015 में अपना समर्थन भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को दी थी और तब नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं थे। निषाद समाज ने इस को लेकर अब तक कई विरोध भी कर चुकी है। नीतीश कुमार की इस सिफ़ारिश का लाभ किसे होगा यह तो आने वाला समय हो बताएगा।

क्या है इथनोग्राफिक अध्ययन रिपोर्ट?

इथनोग्राफ़ी यानी नृवंशविज्ञान किसी विशेष समाज के बारे में वैज्ञानिक विवरण उपलब्ध कराता है। यह मानवशास्त्र की एक शाखा है जिसमें किसी समाज के बारे में संपूर्ण जानकारी जिसमें समाज का इतिहास, रिवाज और संस्कृति का अध्ययन किया जाता है।

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