
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन “जैश-ए-मोहम्मद” के सरगना मसूद अज़हर (Masud Azhar) को बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया. इसकी नोटिफिकेशन संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने अपनी साईट पर जारी की है.
भारत के लिए इसे एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. यह कूटनीतिक जीत इसलिए भी मानी जा रही है क्योंकि चीन ने पिछले महीने वीटो करके मसूद अज़हर को इस काली सूची में आने से बचा लिया था. सुरक्षा परिषद की प्रतिबन्ध के तहत उसे “काली सूची” में डालने के एक प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक हटा लेने के बाद यह क़दम उठाया गया. भारत के राजदूत एवं संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन (Syed Akbaruddin) ने ट्वीट किया, “बड़े, छोटे, सभी एकजुट हुए. मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में आतंकवादी घोषित किया गया है. समर्थन करने के लिए सभी का आभार.”
Big,small, all join together.
Masood Azhar designated as a terrorist in @UN Sanctions list
Grateful to all for their support. 🙏🏽#Zerotolerance4Terrorism
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) May 1, 2019
जनसत्ता के अनुसार, अकबरुद्दीन ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण नतीजा है. हम कई वर्षों से इसके लिए लगे हुए थे. आज यह लक्ष्य हासिल किया गया है. इस मामले को लेकर पहली बार प्रयास 2009 में किया गया था. मैं उन सभी देशों को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने हमारे इस प्रयास में हमारा साथ दिया. यह एक ख़ुशी का दिन है. यह उन सभी लोगों के लिए बड़ा दिन है, जो आतंकवाद का विरोध करते हैं. कई देशों के हम आभारी हैं, जिन्होंने हमें समर्थन दिया, इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ़्रांस तथा परिषद में व परिषद के बाहर अन्य देश शामिल हैं. साथ ही इंडोनेशिया के स्थायी प्रतिनिधि को धन्यवाद देना चाहूँगा.
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में यूपीए की सरकार थी. देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे. मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एएनआई से कहा, “मुझे ख़ुशी हुई कि यह काम सफल हुआ.”
अजहर पर प्रतिबंध के ताज़ा प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था. उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए पिछले 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में लाया गया यह ऐसा चौथा प्रस्ताव था. सबसे पहले 2009 में भारत ने प्रस्ताव लाया था. फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध परिषद के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा. इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव लाया.
हालाँकि इन सभी मौकों पर चीन ने प्रतिबंध समिति द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने में अडंगा डाल दिया. अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के अंतर्राष्ट्रीय दबाव के मद्देनज़र फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अमेरिका ने सीधे सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव लाया था. बीजिंग का इस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. दरअसल, चीन पर इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव था और ख़ास तौर पर अमेरिका भी दबाव डाल रहा था.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को आतंकी घोषित किए जाने के बाद अब उसकी संपत्ति ज़ब्त हो सकेगी और उस पर यात्रा प्रतिबंध तथा हथियार संबंधी प्रतिबंध लग सकेगा. चीन ने उस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली है जिसे फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा संरा सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में फरवरी को पाक के आतंकी संगठन जैश के आतंकी हमला करने के कुछ ही दिनों बाद यह प्रस्ताव लाया गया था. इस हमले में सीआरपीएफ़ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
हालांकि सुरक्षा परिषद् ने मसूद को ब्लैकलिस्ट करने के कारणों में पुलवामा का कोई ज़िक्र नहीं किया है. सुरक्षा परिषद् द्वारा यह गया है कि इसे अल क़ाएदा और जैश ए मुहम्मद के साथ रिश्ते रखने के लिए प्रतिबंधित किया गया है. अल क़ाएदा और जैश ए मुहम्मद दोनों ही सुरक्षा परिषद में आतंकी संगठन के तौर पर लिस्टेड है.