
गांधीनगर (गुजरात), 20 अप्रैल, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क)| गुजरात उच्च न्यायालय की एक खंड पीठ ने 2002 के बहुचर्चित नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया। हालांकि, अदालत ने बजरंग दल के कार्यकर्ता बाबू लाल पटेल उर्फ़ बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा है। एक निचली अदालत ने कोडनानी को साल 2002 में गोधरा रेल नरसंहार के बाद भीड़ को उकसाने के आरोप में दोषी करार दिया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
उच्च न्यायालय ने बाबू भाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी को दोषी पाते हुए उनकी सजा का बरकरार रखा है।
स्त्री विशेषज्ञ माया कोडनानी को नरोदा पाटिया में दंगे करवाने के अपराध में 2012 में जेल हुई थी जहाँ 100 मुसलामानों की हत्या की गयी थी।
विशेष जांच दल ने कहा था कि गोधरा काण्ड जिसमें 59 हिन्दू कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर ट्रेन में जिंदा जला दिया गया था के बाद भीड़ को माया कोडनानी ने भड़काया था जिसे 11 चश्मदीद ने देखा था। जांच दल ने अदालत में आरोप लगाया था कि कोडनानी ने दंगाइयों को तलवार दिए थे और मुसलमानों को मारने के लिए ललकारा था और एक जगह पर गोली भी चलाई थी।
ट्रायल कोर्ट ने नरसंहार करने के आरोप में उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया था. हालांकि, उच्च अदालत ने पाया कि 11 गवाहों में से किसी ने उनका नाम तब नहीं लिया जब दंगे के मामले दर्ज करवाए जा रहे थे। चश्मदीद का बयान है कि उनहोंने माया को पुलिस से बात करने के लिए अपनी कार से आते हुए देखा था। अदालत ने कहा कि कोई अपराधिक मामला तय नहीं किया जा सका।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अदालत में पेश हो कर बयान दिया था कि उनहोंने माया कोडनानी को पहले गुजरात विधान सभा में और फिर उनके अस्पताल में देखा था।