
पिछले दिनों जातीय हिंसा के मामले में रिहा किये गये ‘भीम आर्मी‘ के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण ने जेल से निकलते ही बसपा के विरोध चुनाव ना लड़ने की बात कही थी। ठीक इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को चंद्रशेखर उर्फ रावण के साथ कोई नाता होने से इंकार कर दिया।
रविवार को हुए संवादाता सम्मेलन में ये बात साफ़ कर दी कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में खुद को नौजवान दिखाने के लिये कभी भाई-बहन का तो कभी बुआ-भतीजे का रिश्ता जोड़ रहे हैं।
मायावती ने सात तौर पर ये कहा कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई हिंसा के मामले में अभी हाल में रिहा हुआ व्यक्ति (चंद्रशेखर उर्फ रावण) उनके साथ बुआ का नाता जोड़ रहा। उन्होंने कहा कि उनका कभी भी ऐसे लोगों के साथ कोई सम्मानजनक रिश्ता नहीं कायम हो सकता। अगर ऐसे लोग वाकई दलितों के हितैषी होते तो अपना संगठन बनाने की बजाए बसपा से जुड़ते।
इसके अलावा मायावती ने लोकसभा चुनाव के मद्दे नज़र भाजपा को किसी भी कीमत पर सत्ता में आने से रोकने की बात कही। इसके लिये गठबंधन करके चुनाव लड़ने की बात भी हो रही है। उन्होंने कहा कि वो महा गठबंधन के खिलाफ नहीं लेकिन किसी भी दल के साथ तभी कोई गठबंधन करेगी, जब उसे सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। वरना हमारी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ना बेहतर समझती है।
गौरतलब रहे कि मई 2017 में जातीय हिंसा के मामले में गिरफ्तार किये गये ‘भीम आर्मी‘ के संस्थापक चंद्रशेखर को 14 सितम्बर को रिहा किया गया। रिहाई के बाद उन्होंने कहा था कि मायावती उनकी बुआ हैं और उनका उनसे कोई विरोध नहीं है।