मोदी और नीतीश: जब नीतीश कुमार को भाजपा नेता ने कहा था लुच्चा सीएम




ऐसे तो राजनीति में न कोई दोस्त होता है न कोई दुश्मन लेकिन जिस तरह की दुश्मनी नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच थी वह दुर्लभ ही होता है. कोई किसी को लुच्चा कह रहा था तो कोई किसी का थाली छीन रहा था. पढ़िए क्या क्या हुआ:

जब अमित शाह पटना में लिफ्ट में फंस गए

पिछले विधान सभा की चुनावी रणनीति तैयार करने आए अमित शाह पटना गेस्ट हाउस में लगभग आधे घंटे फंसे रहे थे. तब केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) और स्पेशल फ़ोर्स के जवानों ने लिफ्ट का दरवाज़ा तोड़कर अमित शाह को बाहर निकाला था. तब भाजपा के नेताओं ने कहा था कि यह चुनावी साज़िश के तहत हुआ. भाजपा के नेताओं का इशारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ था. हालांकि यह बात आई गयी हो गयी. लालू प्रसाद यादव ने भी तब चुटकी लेते हुए कहा था कि इतना मोटा आदमी को लिफ्ट में चढ़ना ही नहीं चाहिए था. तब राजद के समर्थन से नीतीश कुमार सरकार चला रहे थे. यह घटना 21 अगस्त, 2015 की है.

जब नरेंद्र मोदी ने कहा था जदयू का मतलब ‘जनता का दमन और उत्पीड़न’ और शकुनी चौधरी ने कहा था ‘लुच्चा सीएम’

यह घटना 09 अगस्त, 2015 की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के गया में परिवर्तन रैली को संबोधि‍त करते हुए कहा था कि ‘RJD का मतलब है ‘रोजाना जंगलराज का डर’ और JDU है ‘जनता का दमन और उत्पीड़न’. बीजेपी नेता शकुनि चौधरी ने रैली में मोदी के संबोधन से पहले नीतीश कुमार को ‘लुच्चा सीएम’ भी कहा था कहा.

मोदी ने गठबंधन के लिए लालू और नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि यह गठनबंधन राजनीतिक लाभ लेने के लिए हुआ है. बिहार सरकार उल्टा लोटा पकड़े बैठी है. मोदी ने कहा, ‘पता ही नहीं चल रहा कि कौन चंदन कुमार है और कौन भुजंग प्रसाद. कौन जहर पी रहा है और कौन पिला रहा है, पता ही नहीं.’ प्रधानमंत्री ने लोगों से वायदा किया कि अगर राज्य में उनकी सरकार आई तो वे पांच साल में बिहार को बीमारू राज्य की कैटेगिरी से बाहर निकाल देंगे.

जब पोस्टर की वजह से नीतीश ने किया मोदी का डिनर रद्द

यह घटना 13 जून, 2010 की है. तब नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी थे लेकिन नरेंद्र मोदी से नाराज़ चल रहे थे. पटना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नरेन्द्र मोदी औऱ नीतीश कुमार की दोस्ती दर्शाने वाले पोस्टर लगे थे. इससे खफा होकर नीतीश ने बीजेपी नेताओं का डिनर ही रद्द कर दिया था. नीतीश ने मोदी और नीतीश को साथ दिखाने वाले पोस्टर की जांच के आदेश भी दिए थे.

बाद में नीतीश कुमार ने सफ़ाई देते हुए कहा कि यह भोज सुशील मोदी के कहने पर आयोजन किया गया था और जब उन्हीं ने आने से इसमें इनकार कर दिया तब भोज को रद्द किया गया.

जब प्रधान मंत्री मोदी ने कहा नीतीश का डीएनए ही गड़बड़

21 अगस्त, 2015 की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने जीतनराम मांझी की जनता दल (यूनाइटेड) और नीतीश कुमार से की गई बग़ावत को मुद्दा बनाया था.

जीतन राम मांझी की चर्चा करते हुए नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था, “जीतन राम मांझी पर ज़ुल्म हुआ तो मैं बेचैन हो गया. एक चाय वाले की थाली खींच ली, एक ग़रीब के बेटे की थाली खींच ली. लेकिन जब एक महादलित के बेटे का सबकुछ छीन लिया तब मुझे लगा कि शायद डीएनए में ही गड़बड़ है.”

अब वही महादलित का बीटा मांझी मोदी के साथ नहीं हैं और उनका भाजपा ने सब छीन लिया.

जब नीतीश ने प्रधानमंत्री कार्यालय भेजवाया बिहारियों का बाल और नाखून

नरेंद्र मोदी के इस बयान पर पलटवार करते हुए नीतीश कुमार ने डीएनए की बात को बिहार के स्वाभिमान से जोड़ते हुए कहा था, “ये किसके डीएनए की बात कर रहे हैं? मैं कौन हूँ? मैं कहाँ से आया हूँ? मैं आपका हूँ. ये बिहार के डीएनए पर ऊंगली उठाई गई है. जिनके पूर्वजों का देश की आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था वो हमारे डीएनए पर उंगली उठा रहे है.”

बस फिर क्या था जनता दल (यूनाइटेड) के आह्वान पर बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से पार्टी के कार्यकर्ताओं ने डीएनए की जांच के लिए अपने नाख़ून और बाल के नमूने प्रधानमंत्री कार्यालय भेजने शुरू कर दिए.

एक महीने के अंदर ही नाख़ून और बाल के कई हज़ार नमूने प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँच गए.

जब नीतीश कुमार ने बाढ़ पीड़ितों को दी जाने वाली सहायता की राशि लौटा दी थी

जब बिहार में भयंकर बाढ़ आई थी तो नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता भेजी थी जिसे नीतीश कुमार ने लौटा दिया था. इस बात का जिक्र पीएम मोदी ने कई बार अपने भाषणों में भी किया था.

और फिर जब नीतीश कुमार ने की थ्री इडियट की पैरोडी

बॉलीवुड की ‘थ्री इडियट’ फिल्म के गाने पर नीतीश कुमार ने पैरोडी बना डाली थी और पत्रकार सम्मलेन में बड़ी चुस्कियां लेते हुए सुनाया, “वो कहते हैं कि वहीं (दिल्ली) से हवा चलती है ठंडी. अब हवा पर हमको एक चीज़ याद आ गया भाई. एक ज़रा सुनाना चाहते हैं आप लोगों को… बहती हवा सा था वो… गुजरात से आया था वो… काला धन लाने वाला था वो… कहाँ गया उसे ढूंढो…. हमको देश की फ़िक्र सताती…. वो बस विदेश के दौरे लगाता… हमको बढ़ती महंगाई सताती… वो बस मन की बात सुनाता… हर वक़्त अपनी सेल्फी खींचता था वो. कहाँ गया उसे ढूंढो……”

तो ये थे इन दो अब के दोस्तों के तब के दुश्मनी के किस्से. इसीलिए किसी शायर ने कहा है कि

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे

जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा हों

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