
By TMC Staff-Reporter
नोटबंदी और GST के आर्थिक मार के बाद एक बार फिर देश के अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करने की बात सामने आ रही है। दरअसल ये मामला केंद्र सरकार भाजपा और RBI के बीच चल रहे विवाद को लेकर है। खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक गवर्नर के बीच विवाद की अहम वजह केन्द्रीय रिजर्व बैंक के पास मौजूद 9.6 ट्रिलियन (9.6 लाख करोड़) रुपये की रकम है।
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक के पास पड़ी इस रिजर्व मुद्रा का लगभग एक-तिहाई हिस्सा लेना चाहती है। केन्द्र सरकार इस मामले में रिजर्व बैंक की पुरानी और संकुचित धारणा का हवाला देते हुए इसे बदलने की ज़रूरत कही है।
वही मीडिया खबर के मुताबिक केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक से चाहती है कि उसे इस रिजर्व मुद्रा से 3.6 ट्रिलियन रुपये दिए जाएं ताकि केन्द्र सरकार इस मुद्रा का संचार कर्ज और अन्य विकास कार्यों पर खर्च के जरिए अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सके।
हालांकिकेन्द्र सरकार की इस मांग पर रिजर्व बैंक साफ़ तौर पर माना करते हुए कहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है। इस दलील के साथ केन्द्रीय रिजर्व बैंक केन्द्र सरकार को अपने रिजर्व खजाने से पैसे देने के का विरोध कर रहा है।
इंडिया टुडे कि रिपोर्ट के मुताबिक 19 नवंबर को होने वाली आरबीआई बोर्ड की प्रमुख बैठक में केन्द्र सरकार अपने नुमाइंदों के जरिए विवादित विषयों पर प्रस्ताव के सहारे फैसला करने का दबाव बना सकती है।
दरअसल आजतक ने अपने रिपोर्ट में ये कहा है कि रिजर्व बैंक बोर्ड में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों की संख्या अधिक है लिहाजा फैसला प्रस्ताव के आधार पर लिया जाएगा तो रिजर्व बैंक गवर्नर के सामने केन्द्र सरकार का सभी फैसला मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।