
अगरतला (त्रिपुरा), 18 फरवरी, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) | वाम शासित त्रिपुरा के 2,536,589 मतदाताओं में से 75 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का रविवार को इस्तेमाल किया। यहां तक कि मतदान के आखिरी घंटों में भी मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में लोग कतारों में खड़े दिखाई दिए। निर्वाचन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मतदान के सुबह सात बजे शुरू होने से पहले ही नए मतदाताओं सहित पुरुष व महिला दोनों पूरे त्रिपुरा में मतदान केंद्रों पर कतार में खड़े दिखाई दिए।
कुल 292 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसमें 23 महिलाएं और कई निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
मतगणना तीन मार्च को होगी।
निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने न्यूज़ एजेंसी से कहा, “75 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल शाम चार बजे तक किया था। पूर्व निर्धारित समय के चार बजे तक समाप्त हो जाने के बाद भी बड़ी संख्या में मतदाता राज्य भर के मतदान केंद्र पर कतारों में खड़े दिखाई दिए।”
अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वीवीपैट को जोड़ने में दिक्कत की वजह से करीब 180 पोलिंग बूथों पर शुरू में धीमा मतदान हुआ।
मतदाताओं, उम्मीदवारों व सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ईवीएम-वीवीपैट की गड़बड़ी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
त्रिपुरा में 2013 व 2008 के विधानसभा चुनावों में क्रमश: 92 फीसदी व 91 फीसदी रिकॉर्ड मतदान हुआ था।
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी तापस रॉय ने न्यूज़ एजेंसी से कहा, “निर्वाचन आयोग ने विशेष रूप से संशोधित वीवीपैट के साथ जुड़े ईवीएम सभी 3,174 मतदान केंद्रों पर लगाए थे। हमने सभी दोषपूर्ण ईवीएम-वीवीपैट को बदल दिया या सुधार दिया और इन मतदान केंद्रों पर इसके बाद मतदान शुरू हुआ।”
उन्होंने कहा, “मतदान पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा व किसी तरह की कोई घटना नहीं हुई। अभी भी महिलाओं सहित बड़ी संख्या में मतदाता सैकड़ों मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में खड़े हैं।”
उन्होंने कहा कि जो मतदाता मतदान स्थल परिसर में शाम चार बजे तक प्रवेश कर गए, उन्हें देर रात तक मतदान करने की अनुमति दी जाएगी।
विधानसभा की 60 सीटों मे से 59 के लिए मतदान का आयोजन किया गया है। मौजूदा विधायक व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देबबर्मा के निधन के कारण चारिलम (जनजातीय-आरक्षित) सीट पर मतदान टालकर 12 मार्च को कर दिया गया है।
कुल 3,174 मतदान केंद्रों में से 47 मतदान केंद्रों की सुरक्षा पूरी तरह से महिला सुरक्षाकर्मियों के हवाले थी। कुल 2,536,589 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें से 1,250,128 महिलाएं हैं। 47,803 मतदाता पहली बार मतदान के पात्र बने हैं।
सत्तारूढ़ माकपा ने 56 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। पार्टी ने एक-एक सीट अपने वाम सहयोगियों -भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी- के लिए छोड़ दी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने नौ सीटें सहयोगी दल पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के लिए छोड़ दी है।
कांग्रेस ने सभी 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। हालांकि, उसके आधिकारिक उम्मीदवार सुकुमार चंद्र दास काक्राबान-शालगढ़ विधानसभा सीट से नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल हो गए थे।
तृणमूल कांग्रेस ने 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
राज्य की कुल 60 सीटों में से 20 जनजातीय समुदाय के लिए और 10 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
निर्वाचन अधिकारी ने बताया, “सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर 50,000 अर्धसैनिक बलों और राज्य के अन्य सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। दो वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में हेलीकॉप्टरों के जरिए दो एयर सर्विलांस टीमें भी निगरानी रख रही हैं।”
मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने अपनी पत्नी पांचाली भट्टाचार्य के साथ मतदान करने के बाद कहा, “यह निश्चित है कि इस चुनाव के बाद वाममोर्चा की आठवीं सरकार बनेगी। हमें इसकी पूरी उम्मीद है।”
भाजपा की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब ने दक्षिणी त्रिपुरा के उदयपुर में मतदान करने के बाद कहा, “लोग बदलाव चाहते हैं। लोग त्रिपुरा में भाजपा की सरकार बनने की कामना कर रहे हैं।”
त्रिपुरा कांग्रेस के उपाध्यक्ष तापस डे ने भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दिल्ली कार्यालय ने त्रिपुरा चुनाव के बारे में बार-बार जानकारी ली है।
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सी.पी. जोशी, सचिव भूपेन बोरा और अन्य नेताओं ने त्रिपुरा कांग्रेस के नेताओं से मतदान के बारे में जानकारी ली है।
कांग्रेस नेताओं ने राज्य निर्वाचन विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि त्रिपुरा में निर्वाचन अधिकारी निष्पक्ष नहीं थे और चुनावी प्रबंधन बहुत खराब और अक्षम था।
डे ने कहा, “कांग्रेस और वाम दलों की शिकायतों के बावजूद त्रिपुरा के निर्वाचन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन जब भाजपा ने कोई शिकायत की तो निर्वाचन अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की।”
-आईएएनएस