
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार की विधान सभा की सदस्यता को भंग करने वाली याचिका को लेकर नोटिस जारी किया है। याचिका में यह कहा गया है कि नीतीश कुमार ने चुनाव एफिडेविट में अपने ऊपर के क्रिमिनल केस का वर्णन नहीं किया था।
न्यायाधीश दीपक शर्मा, न्यायाधीश अमिताव रॉय और न्यायाधीश एएम खानविलकर की पीठ ने अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए 1 अगस्त को मंज़ूर किया था।
याचिका में कहा गया कि नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ 1991 में बाढ़ निर्वाचन क्षेत्र के लोक सभा के उप-चुनाव से पहले एक आपराधिक मामला दर्ज था जिसमें उन पर स्थानीय कांग्रेस नेता सीताराम सिंह की हत्या और कई लोगों को घायल करने का आरोप था।
कुमार के इस आपराधिक मामले की जानकारी होने के बावजूद चुनाव आयोग ने उनकी सदन की सदस्यता रद्द नहीं की और वह आज तक संवैधानिक पद पर जमे हुए हैं, याचिकाकर्ता ने कहा।
याचिका में चुनाव आयोग के 2002 आदेश के अनुसार बिहार के मुख्य मंत्री की सदन से सदस्यता भंग करने की प्रार्थना की गई है। चुनाव आयोग के 2002 के आदेश के अनुसार, उम्मीदवारों के लिए यह आवश्यक है कि वह नामांकन पत्र में अपने विरुद्ध तमाम आपराधिक मामलों का उल्लेख करें।