उन्नाव कांड : विधायक सेंगर पर लगा पॉक्सो एक्ट, गिरफ्तारी नहीं




बलात्कार का आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (चित्र साभार: ट्विटर)

लखनऊ (उत्तर प्रदेश), 12 अप्रैल, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क)। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ आठ महीने बाद बुधवार की रात ढाई बजे अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी, क्योंकि यूपी पुलिस के लिए सेंगर अपराधी नहीं, बल्कि ‘माननीय’ है। (21:39) 

पॉक्सो एक्ट लगने पर तुरंत गिरफ्तारी होती है, लेकिन यूपी पुलिस का कहना है कि वह अपने सत्ताधारी विधायक पर हाथ नहीं डालेगी, सीबीआई अगर चाहे तो गिरफ्तार कर ले।

इस विधायक का भाई अतुल सिंह सेंगर एक बार एसपी पर गोली चला चुका है। उसी की पिटाई से पीड़ित किशोरी के पिता की मौत हो गई, अतुल तीन दिन से जेल में है, लेकिन सामूहिक दुष्कर्म का आरोपी विधायक खुलेआम घूम रहा है और मीडिया से हंस-हंस कर बात कर रहा है।

बुधवार को एसआईटी की जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया गया। अब जांच सीबीआई को दे दी गई, ताकि इसमें थोड़ा और समय लगे। विधायक को अपने बचने के इंतजाम का पूरा समय मिल जाए।

गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से अधिकृत तौर पर सीबीआई जांच का पत्र भेजा गया। सीबीआई 4 जून, 2017 की घटना के साथ ही अन्य दोनों मामले की भी विवेचना करेगी।

लाल बहादुर शास्त्री भवन (एनेक्सी) के मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने कहा कि उन्नाव मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। पुलिस अभी सीबीआई जांच तक विधायक सेंगर को गिरफ्तार नहीं करेगी।

प्रमुख सचिव (गृह) ने कहा, “उन्नाव गैंगरेप मामले में माननीय विधायकजी का पक्ष भी जाना जाएगा।”

उन्होंने कहा कि पुलिस विधायक को गिरफ्तार नहीं करेगी। मामले की जांच अब सीबीआई करेगी।

प्रमुख सचिव (गृह) ने कहा कि पुलिस ने दर्ज मामलों के आधार पर कार्रवाई की है और अब इस मामले की विवेचना के लिए सीबीआई को यह केस सौंपा जा रहा है। आगे की कार्रवाई सीबीआई गुण-दोष के आधार पर करेगी। विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

उन्होंने बताया कि पीड़िता की मां की तहरीर पर विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 366 (अपहरण कर शादी के लिए दवाब डालना), 376 (बलात्कार), 506 (धमकाना) और पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। एफआईआर में विधायक कुलदीप सिंह के साथ शशि सिंह भी नामजद है।

अरविंद कुमार ने कहा कि उन्नाव मामले में एसआईटी गठित की गई थी और उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। एसआईटी ने पीड़िता के चाचा, उसकी मां और अन्य के बयान लिए। एसआईटी ने अपनी प्राथमिक जांच में यह भी पाया कि पीड़िता 11 जून, 2017 को गायब हो गई थी। उसकी मां ने इस बारे में 12 जून को पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने पीड़िता को देवरिया से बरामद किया और कोर्ट में पेश किया। जहां मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता के 164 के बयान दर्ज हुए। 164 के तहत बयान में विधायक का नाम नहीं लिया गया।

पीड़िता के बयान के आधार पर दो अभियुक्तों को गिरफ्तार भी किया गया था। पीड़िता ने तब अपने बयान में चार जून 2017 की घटना का उल्लेख नहीं किया। 11 जून के मामले में एक अगस्त 2017 को पुलिस ने चार्जशीट फाइल कर दी।

उन्होंने बताया कि 4 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता के साथ मारपीट के मामले में डीजीआई जेल ने जो रिपोर्ट दी है और डीएम उन्नाव ने वहां के अस्पताल की भूमिका के संबंध में जो तथ्य रखे, उसके आधार पर यह साफ हुआ कि जेल भेजे जाने और इलाज के लिए दोबारा अस्पताल भेजे जाने पर लापरवाही हुई।

उन्होंने कहा कि जेल दाखिले से पहले मृतक का मेडिकल टेस्ट सही से नहीं किया गया। जिला मेडिकल के सीएमएस, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर प्रशांत उपाध्याय और तीन अन्य डॉक्टरों को निलंबित किया गया।अब चार जून की घटना की एफआईआर दर्ज करते हुए मामले को सीबीआई से विवेचना कराने का फैसला किया गया है।

वहीं डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कोर्ट के बयान में पीड़िता के किसी भी मामले में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम न लेने के कारण प्रदेश पुलिस उनकी गिरफ्तारी नहीं करेगी।

डीजीपी ने प्रेस वार्ता में विधायक सेंगर को ‘माननीय विधायक’ कहकर संबोधित किया। इस पर सवाल करने पर उन्होंने कहा, “उन पर आरोप लगा है। अभी वह दोषी तो नहीं हैं, हम उनको अभी अपराधी तो कह नहीं सकते, इसलिए हमने सम्मान दिया है।”

विधायक को बचाने के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि पीड़िता के आरोप के आधार पर ही मुकदमा दर्ज किया गया है। पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई गई है। तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अब तक कार्रवाई हुई है और आगे भी साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई होगी।

आठ महीने तक विधायक पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया गया, इस सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारी भूमिका पर सवाल उठाने का कोई भी प्रश्न नहीं उठता। हम लोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं। किसी भी दोषी को बचाने की कोई मंशा नहीं है।

उधर, जम्मू के कठुआ में छह दरिंदों ने आठ साल की दूसरे संप्रदाय की बच्ची को नशे की दवा खिलाकर उसके साथ कई दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म किया। इन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीर्ट दाखिल होने के खिलाफ हिंदूवादी वकीलों ने प्रदर्शन किया। वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं और इधर उन्नाव के विधायक के कारनामे की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई है। दरअसल, उन्हें लगता है कि सीबीआई तो केंद्र सरकार के अधीन है, और सरकार तो अपनी है। जिस तरह व्यापम महाघोटाले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज को क्लीनचिट मिल गया, उसी तरह कुलदीप पर सीबीआई की कृपा बरसेगी।

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