
जम्मू कश्मीर के स्कूल शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी करते हुए स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक लाइब्रेरी को उर्दू में लिखी श्रीमद भागवत और रामायण के किताबें खरीदने के आदेश दिए जाने के बाद राजनैतिक विवादों का सिलसिला शुरू हो चूका है।
जम्मू कश्मीर के स्कूल शिक्षा विभागी की 4 अक्टूबर को हुई बैठक में ये फैसला हुआ था जिसके आदेश अब जारी किए गए है। हालांकि शिक्षा विभाग के इस आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने सवाल उठाए हैं।
Why just the Gita & Ramayana? If religious texts are to be placed in schools, collages & government libraries (and I’m not convinced that they need/should be) then why is it being done selectively? Why are other religions being ignored? pic.twitter.com/UqxMG0NpMJ
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 22, 2018
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि सिर्फ़ गीता और रामायण ही क्यों? अगर स्कूल, कॉलेज और सरकारी लाइब्रेरी में धार्मिक किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं तो ये सिर्फ़ चुनिंदा किताबें ही क्यों? इसमें दूसरे धर्म की अनदेखी क्यों की जा रही है।
हालांकि सरकार द्वारा स्कूल को खास किताब खरीदने का आदेश देने का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले राजस्थान सरकार ने संघ विचारक राकेश सिन्हा की लिखी किताब आधुनिक भारत के निर्माता- केशव बलिराम हेडगवार खरीदेने के लिए सभी स्कूलों को आदेश जारी किया था।