‘RSS और भाजपा से असहमति रखने वाले नागरिकों को लोकतांत्रिक अधिकार नहीं’




जहाँ एक केन्द्र सरकार द्वारा मोबाइल, कम्प्यूटर, ई-मेल और इंटरनेट सिस्टम में निगरानी के लिए 10 सुरक्षा एजेंसियों को अधिकृत किये जाने के बाद देश का माहौल गर्म हो गया है. वहीँ फोन टैपिंग के मामले में सामने आई संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013 में फोन टैपिंग के साथ ई-मेल पर भी नजर रखने का मामला भी सामने आये है.

दरअसल यूपीए सरकार के कार्यकाल में हर माह 9,000 फोन लाइनें और 500 ई-मेल की जानकारी भी सरकार की ओर से खंगाली गई. हालांकि अभी तक ये नहीं बताया गया है ये सभी किस विभाग द्वारा सम्बन्थित था.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे डेटा को अंतरावरोधन (इंटरसेप्शन), निगरानी (मॉनिटरिंग) और विरूपण (डीक्रिप्शन) करने का अधिकार 10 एजेंसियों को देने के केंद्र के फैसले की कड़ी आलोचना की है.



उन्होंने कहा है कि ‘केंद्र सरकार ने दलील दी है कि अधिसूचना आईटी अधिनियम 2000 के तहत जारी की गई है.’ उन्होंने दावा किया,‘इस दलील में कोई तर्क नहीं है, क्योंकि आईटी अधिनियम 2000 की धारा 66ए को उच्चतम न्यायालय असंवैधानिक घोषित कर खारिज कर चुका है. यह धारा आपत्तिजनक सामग्री को ऑनलाइन साझा करने पर दंडित करने के संबंध में है.’

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि यह आदेश आरएसएस और भाजपा से असहमति रखने वाले नागरिकों को लोकतांत्रिक अधिकार नहीं देने की कोशिश है. यह प्रेस की आजादी पर भी अंकुश लगाता है.

 

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