प्रधानमन्त्री के मन की बात: मेरे प्यारे देशवासियों, मिच्छामी दुक्कड़म




आज अपने मन की बात में प्रधान मंत्री मोदी ने एक बार फिर वही दोहराया जो उनहोंने लाल किला से दोहराया था. हरियाणा मे कल की हुई हिंसा का बिना सन्दर्भ दिए हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हर किसी को क़ानून के आगे झुकना हो होगा। प्रधान मंत्री ने आज अपने मन की बात में कई स्वच्छता और शिक्षा को लेकर कई संकल्पों की बात भी की. उन्होंने अपने मन की बात में अल्बर्ट आइंस्टीन से लेकर शेक्सपियर को को भी उद्धरण किया.

प्रधान मंत्री ने स्वच्छता ही सेवा है का मन्त्र लोगों को दिया और कहा जैसे पेयजल सेवा है पहले मन्त्र हुआ करता था अब इस मन्त्र को हम अपनाएं. उनहोंने इस मन की बात में जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह यह कि हमें एनवायरनमेंट फ्रेंडली होना चाहिए और अब हमारे संस्कारों और हमारे आधुनिक होने का पैमाना बदला है. उनहोंने कहा कि अगर आप इको फ्रेंडली नहीं हैं तो लोग आपको बुरा समझते हैं.

धन जन की बात का उल्लेख करते हुए उनहोंने कहा कि अब गरीब भी रूपए कार्ड अपने पास रख कर अमीरों जैसा फील करता है. उनहोंने कहा कि गरीबों ने जो 65 हज़ार करोड़ रुपए जन धन योजना में बैंकों में जमा किए वह उनकी बचत है.

विशेष तौर पर, अपने स्वभाव के विपरीत उनहोंने इस बार ईद उल अज़हा यानि बकरीद की शुभकामनाएं दी और जमीअत उलेमा नाम की मुस्लिम संगठन जिसने गुजरात में बाढ़ के बाद 3 मस्जिद के साथ 22 मंदिरों की सफाई की थी की भी प्रशंसा की.

पूरे मन की बात में उनहोंने सुप्रीम कोर्ट के दो ऐतिहासिक फैसलों का कोई उल्लेख नहीं किया.

मन की बात का पूरा पाठ्य यहाँ प्रस्तुत है:

मेरे प्यारे देशवासियों,

सादर नमस्कार,

एक तरफ देश उत्सवों में डूबा हुआ है और दूसरी तरफ से हिंदुस्तान के किसी कोने से जब हिंसा की खबरें आती हैं तो देश को चिंता होना बड़ा स्वाभाविक है, यह हमारा देश बुद्धा और गांधी का देश है, देश की एकता के लिए जी जान लगा देने वाले सरदार पटेल का देश है, सदियों से हमारे पूर्वजों ने सार्वजनिक जीवन मूल्यों को, अहिंसा को, आदर को स्वीकार किया हुआ है, हमारे ज़ेहन में भरा हुआ है. “अहिंसा परमो धर्म” यह हम बचपन से सुनते आए हैं कहते आए हैं. मैंने लाल किले से भी कहा था कि आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी, चाहे वह सांप्रदायिक आस्था हो, चाहे वह राजनीतिक विचारधाराओं के प्रति आस्था हो, चाहे वह व्यक्ति के प्रति आस्था, चाहे वह परंपराओं के प्रति आस्था हो, आस्था के नाम पर क़ानून को हाथ में लेने का किसी को हक नहीं है. डॉ बाबा साहब आंबेडकर ने हमें जो संविधान दिया है उसमें हर व्यक्ति को न्याय पाने की हर प्रकार की व्यवस्था है.

मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ क़ानून हाथ में लेने वाले, हिंसा के राह पर दमन करने वाले किसी को भी चाहे वह व्यक्ति हो या समूह हो, न यह देश कभी बर्दाश्त करेगा और न ही कोई सरकार बर्दाश्त करेगी, हर किसी को क़ानून के सामने झुकना होगा क़ानून जवाबदेही तय करेगा और दोषियों को सज़ा देकर रहेगा.

मेरे प्यारे देशवासियों, हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है, और यह विविधताएं खान पान, रहन सहन, पहनाव ओढाव तक सीमित नहीं है. जीवन के हर व्यवहार में हमें विविधताएं नज़र आती हैं, यहाँ तक की हमारे त्यौहार भी विविधताओं से भरे हुए हैं. और हज़ारों साल पुरानी हमारी सांस्कृतिक विरासत होने के कारण सांकृतिक परंपराएं देखें, सामाजिक परंपराएं देखें ऐतिहासिक घटनाएं देखें तो शायद ही ३६५ दिन में कोई दिन बचता होगा जो हमारे यहाँ कोई त्यौहार से न जुड़ा हो, यह भी आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ सारे त्यौहार प्रकृति के समय पत्र के अनुसार चलते हैं. प्रकृति के साथ सीधा सीधा संबंध रहता है हमारे बहुत सारे त्यौहार तो सीधे सीधा किसान से जुड़े होते हैं मछुआरों से जुड़े होते हैं. आज मैं त्योहारों की बात कर रहा हूँ तो सबसे पहले हम मिच्छामी दुक्कड़म कहना चाहता हूँ. जैन समाज में कल संवतसरी का पर्व मनाया गया. जैन समाज में भाद्र मास में पर्युषण पर्व मनाया जाता है, पर्युषण पर्व के आखरी दिन संवतसरी का दिन होता है. यह सचमुच में अपने आप में एक अद्भुत परंपरा है. संवत सरी का पर्व क्षमा, अहिंसा और मैत्री का प्रतीक है. इसे एक प्रकार से क्षमा वाणी पर्व भी कहा जाता है और इस दिन एक दुसरे को मिच्छामी दुक्कडम कहने की परंपरा है.

वैसे भी हमारे शास्त्रों में क्षमा वीरस्य भूषणं यानि क्षमा वीरों का आभूषण है. क्षमा करने वाला वीर होता है, यह चर्चा तो हम सुनते ही आए हैं, और महात्मा गांधी तो हमेशा कहते थे, क्षमा करना तो ताक़तवर व्यक्ति की विशेषता होती है, शेक्सपियर ने अपने नाटक द मर्चेंट ऑफ़ वेनिस में क्षमा भाव के महत्व को बताते हुए लिखा था “मर्सी इस ट्वाइस ब्लेस्ट, इट ब्लेस्सेथ हिम डैट गिव्स एंड हिम दैट टेक्स.” अर्थात, क्षमा करने वाला और जिसे क्षमा किया गया दोनों को भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मेरे प्यारे देशवासियों, इन दिनों हिंदुस्तान के हर कोने में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है, और जब गणेश चतुर्थी की बात आती ही तो सार्वजनिक गणेश उत्सव की बात स्वाभाविक है. बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक ने १२५ वर्ष पूर्व इस परंपरा को जन्म दिया और पिछले १२५ साल आज़ादी के पहले आज़ादी आन्दोलन का प्रतीक बन गए और आज़ादी के बाद समाजिक शिक्षा, समाजिक चेतना जताने के प्रतीक बन गए. गणेश चतुर्थी का पर्व दस दिनों तक चलता है, इस महापर्व को एकता, समता और स्वच्छता का प्रतीक कहा जाता है. सभी देशवासियों को गणेश उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं.

अभी केरल में ओणम का त्यौहार मनाया जा रहा है, भारत के रंग बिरंगे त्योहारों में से एक ओणम केरल का एक प्रमुख त्यौहार है, यह पर्व अपने सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. ओणम का पर्व केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को परिलक्षित करता है, यह पर्व समाज में प्रेम और सौहादर्य का सन्देश देने के साथ लोगों के मन एक नई उमंग, नई आशा नया विश्वास जागृत कर्ता है.

भारत में हमारे त्यौहार भी टूरिज्म के आकर्षण का कारण बनते जा रहे हैं, और मैं तो देशवासियों से कहूँगा कि जैसा गुजरात में नवरात्रि का उत्सव हो या बंगाल में दुर्गा उत्सव एक प्रकार से टूरिस्ट का आकर्षण बन चुके हैं. हमारे और त्यौहार भी विदेशियों को आकर्षित करने के लिए एक अवसर है, उस दिशा में हम क्या कर सकते हैं यह सोचना चाहिए.

इन त्योहारों के श्रृंखला में कुछ ही दिन बाद देश भर में ईद उल जोहा का पर्व भी मनाया जाएगा, सभी देशवासियों को ईद उल जोहा की बहुत बहुत बधाईयाँ, बहुत बहुत शुभकामनाएं. त्यौहार हमारे लिए आस्था और विश्वास के प्रतीक हो हैं ही, हमें नए भारत में त्योहारों को स्वच्छता का भी प्रतीक बनाना चाहिए, पारिवारिक जीवन में तो त्यौहार और स्वच्छता जुड़े हुए हैं, त्यौहार की तैयारी का मतलब है साफ़ सफाई, यह हमारे लिए कोई नई चीज़ नहीं है, लेकिन यह सामाजिक स्वभाव बनाना भी ज़रूरी है. सार्वजनिक रूप से स्वच्छता का आग्रह सिर्फ घर में नहीं, हमारे पूरे        गावं में हमारे पूरे नगर में, हमारे पूरे शहर में, हमारे पूरे राज्य में हमारे पूरे देश में, स्वच्छता यह त्योहारों के साथ एक अटूट हिस्सा बनना ही चाहिए.

मेरे प्यारे देशवासियों, आधुनिक होने की परिभाषाएँ बदलती चली जा रही हैं, इन दिनों एक नया डायमेंशन, एक नया पैरामीटर, आप कितने संस्कारी हो, कितने आधुनिक हो, आपकी थॉट प्रोसेस कितनी मोरल है इसको जानने में एक तराजू ही काम में आने लगा है और वह है एनवायरनमेंट के प्रति आप कितने सजग हैं, आपकी अपनी गतिविधियों में इकोफ्रेंडली, एनवायरनमेंट फ्रेंडली व्यवहार है कि उसके खिलाफ है.

समाज में अगर उसके खिलाफ है तो बुरा माना जाता है, और उसी का परिणाम मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों यह गणेश उत्सव में भी इको फ्रेंडली गणपति, मानो एक बड़ा अभियान खड़ा हुआ है, अगर आप यूट्यूब पर जाकर देखेंगे हर घर में बच्चे गणेश जी बना रहे हैं मिटटी ला कर गणेश जी बना रहे हैं उस पर रंग पोताई कर रहे हैं, कोई वेजिटेबल के कलर लगा रहा है कोई कागज़ के टुकड़े चिपका रहा है, भांति भांति के प्रयोग हर परिवार में हो रहे हैं, एक प्रकार से एनवायरनमेंट कांशसनेस का इतना बड़ा व्यापक शिक्षण इस गणेश उत्सव में देखने को मिला है शायद ही पहले कभी मिला हो.

मीडिया हाउस भी बहुत बड़ी मात्रा में इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियों के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, गाइड कर रहे हैं देखिए कितना बड़ा बदलाव आया है. और यह सुखद बदलाव है. और जैसा मैंने कहा कि हमारा देश करोड़ों करोड़ों तेजस्वी दिमागों से भी भरा हुआ है. और बड़ा अच्छा लगता है जब कोई नई नई इनोवेशन जानते हैं. मुझे किसी ने बताया कि कोई एक सज्जन है जो स्वयं इंजिनियर हैं उन्होंने एक विशिष्ट प्रकार से मिटटी इकट्ठी करके उसका अन्वेषण करके गणेश जी बना के जब किसी सी छोटी सी बाल्टी में पानी में रखते हैं तो वह तुरंत उसी में डाईल्युट हो जाती है वह यहाँ पर रुके नहीं उसमें एक तुलसी का पौधा बो दिया और पौधे बो दिए. तीन वर्ष पूर्व जब स्वच्छता का अभियान प्रारंभ किया था 2 अक्टूबर को उसको तीन साल हो गए और उसके सकारात्मक परिणाम नज़र आ रहे हैं, शौचालयों की कवरेज 39 प्रतिशत से करीब करीब 67 परसेंट पहुंची है. 2 लाख 30 हज़ार से भी ज्यादा गावं खुले में शौच से अपने आपको मुक्त घोषित कर चुके हैं. पिछले दिनों गुजरात में भयंकर बाढ़ आई. काफी लोग अपना जान गंवा बैठे लेकिन बाढ़ के बाद जब पानी कम हुआ तो हर जगह गंदगी इतनी फैल गयी थी, ऐसे समय में गुजरात के बनासकांठा जिले के धनेरा में जमियत उलेमा हिन्द के कार्यकर्ताओं ने बाढ़ प्रभावित 22 मंदिर एवं 3 मस्जिदों की चरणबद्ध तरीके से साफ़ सफाई की, खुद ने पसीना बहाया सबलोग निकल पड़े. स्वच्छता के लिए एकता का उत्तम उदाहरण हर किसी को प्रेरणा देने वाला उदाहरण, जमीअत उलेमा हिन्द के सभी कार्यकर्ताओं ने दिया, स्वच्छता के लिए समर्पण भाव से किया गया प्रयास स्थायी स्वभाव बन जाए तो हमारा देश कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है.

मेरे प्यारे देशवासियों, मैं आप सभी से एक आह्वान करता हूँ कि एक बार फिर 2 अक्टूबर गाँधी जयंती से 15 20 दिन पहले से ही “स्वछता ही सेवा” जैसे पहले कहते थे जल सेवा ही प्रभु सेवा वैसे ही स्वछता सेवा का मुहीम चलाएं, पूरे देश में स्वच्छता के लिए माहौल बनाएं जैसा अवसर मिले जहाँ भी अवसर मिले हम अवसर ढूंढें लेकिन हम सभी जुड़ें. इसे एक प्रकार से दिवाली के त्यौहार की तैयारी मान लें, इसे एक प्रकार से नवरात्र की तैयारी मान लें, दुर्गा पूजा की तैयारी मान लें, श्रमदान करें, छुट्टी के दिन और रविवार को इकठ्ठा हो कर एक साथ काम करें, आस पड़ोस के बस्ती में जाएं, नज़दीक के गावं में जाएं लेकिन एक आन्दोलन के रूप में करें मैं सभी एनजीओज़ को, स्कूलों को कॉलेजों को समाजी सांस्कृतिक राजनीतिक नेतृत्व को सरकार के अफसरों को कलेक्टरों को सरपंचों को हर किसी से आग्रह करता हूँ कि 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की जन्म जयंती के पहले ही १५ दिन हम ऐसी स्वच्छता का वातावरण बनाएं हम ऐसी स्वच्छता खड़ी कर दें कि 2 अक्टूबर सचमुच में गांधी के सपनों वाली 2 अक्टूबर हो जाए. पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय MyGov.in पर एक सेक्शन बनाया है जहाँ शौचालय निर्माण के बाद आप अपना नाम और उस परिवार का नाम प्रविष्ट कर सकते हैं जिसकी आपने मदद की. मेरे सोशल मीडिया के मित्र कुछ रचनात्मक अभियान चला सकते हैं और वर्चुअल वर्ल्ड को धरातल पर काम हो इसकी प्रेरणा बना सकते हैं.

स्वच्छ संकल्प से ही स्वच्छ सिद्धि प्रतियोगिता पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा यह अभियान जिसमें आप निबंध की स्पर्धा है, लघु फिल्म बनाने की स्पर्धा है, चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित किया जा रहा है इसमें आप विभिन्न भाषाओँ में निबंध लिख सकते हैं और और इसमें कोई उम्र की मर्यादा नहीं है, कोई एज लिमिट नहीं है, आप शोर्ट फिल्म बना सकते हैं, अपने मोबाइल से बना सकते हैं, 2 ३ मिनट की फिल्म बना सकते हैं, जो स्वच्छता के लिए प्रेरणा दे किसी भी लैंग्वेज में हो सकती है वह साइलेंट भी हो सकती है यह जो प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे, उसमें से जो बेस्ट तीन लोग चुने जाएंगे डिस्ट्रिक्ट लेवल पर तीन होंगे, स्टेट लेवल पर तीन होंगे, उनको पुरस्कार दिया जाएगा. मैं हर किसी को निमंत्रण देता हूँ कि आइए स्वच्छता के इस अभियान के इस रूप में भी आप जुड़ें, मैं फिर एक बार कहना चाहता हूँ कि बार 2 अक्टूबर गाँधी जयंती को स्वच्छ 2 अक्टूबर बनाने का संकल्प लें, और इसके लिए १५ सितम्बर से ही स्वच्छता ही सेवा इस मन्त्र को घर घर पहुंचाएं, स्वच्छता के लिए कोई न कोई क़दम उठाएं, स्वयं परिश्रम करके इसमें हिस्सेदार बनें. आप देखिए गांधी जयंती के यह 2 अक्टूबर कैसी चमकेगी. आप कल्पना कर सकते हैं १५ दिन की सफाई के अभियान के बाद स्वच्छता ही सेवा के बाद 2 अक्टूबर को हम जब गांधी जयंती मनाएंगे तो पूज्य बापू को श्रद्धांजली देने का हमारे भीतर कितना एक पवित्र आनंद होगा.

मेरे प्यारे देश वासियों, मैं आज विशेष रूप से आप सबका ऋण स्वीकार करना चाहता हूँ, दिल की गहराई से मैं आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ इसलिए नहीं कि इतने लंबे अरसे तक आप मन की बात से जुड़े रहे मैं इसलिए आभार व्यक्त करना चाहता हूँ दिल से स्वीकार करना चाहता हूँ क्योंकि मन की बात के इस कार्यक्रम के साथ देश के हर कोने से लाखों लोग जुड़ जाते हैं सुनने वालों की संख्या तो करोड़ों में है लेकिन लाखों लोग मुझे कभी पत्र लिखते हैं कभी मेसेज देते हैं कभी फ़ोन पर सन्देश आ जाता है, मेरे लिए बहुत बड़ा खज़ाना है देश के जन जन के मन को जानने के लिए लिए मेरे लिए बहुत बड़ा अवसर बन गया. आप जितना मन की बात का इंतज़ार करते हैं उससे ज्यादा मैं आपके संदेशों का इंतजार करता हूँ. मैं लालायित रहता हूँ क्योंकि आपकी हर बात से मुझे कुछ सीखने को मिलता है. मैं जो कर रहा हूँ उसको कसौटी पर कसने का अवसर मिल जाता है बहुत सी बातों को नए सिरे से समझने के लिए आपकी छोटी छोटी बातें मेरे काम आती है. इसलिए मैं आपके इस योगदान के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ. आपका ऋण स्वीकार करता हूँ और मेरा प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा आपकी बातों को मैं स्वयं देखूं सुनूं पढूं समझूं और ऐसी ऐसी बातें आती है. अब देखिए, अब इस फ़ोन कॉल से आप भी अपने आपको को-रिलेट करते होंगे, आपको भी लगता होगा कि हाँ यार आपने भी ऐसी गलती की है. कभी कभी तो कुछ हमारी आदत का हिस्सा बन जाती है कि हमें लगता ही नहीं है कि हम गलत कर रहे हैं.

प्रधान मंत्री जी, मैं पुणे से अपर्णा बोल रही हूँ, मैं अपनी एक सहेली के बारे में बताना चाहती हूँ, वह हमेशा लोगों की मदद करने की कोशिश करती है लेकिन उसकी एक आदत देख कर मैं हैरान रह जाती हूँ, एक बार मैं उसके साथ शौपिंग करने मॉल गयी थी एक साड़ी पर उसने 2 हज़ार रुपए बड़े आराम से खर्च कर दिए और पिज़्ज़ा पर 4 सौ पचास रूपए. जबकि मॉल तक जाने के लिए जो ऑटो लिया था उस ऑटो वाले के लिए 5 रूपए के लिए बहुत देर तक मोल भाव करती रही, वापस लौटते हुए रास्ते में सब्जी वाले से सब्जी खरीदी और हर सब्जी पर फिर से मोल भाव करके 4-5 रुपए बचाए. मुझे बहुत बुरा लगता है हम बड़ी बड़ी जगह एक बार भी बिना पूछे बड़े बड़े भुगतान कर देते हैं और हमारे मेहनतकाश भाई बहनों से थोड़े से पैसे के लिए झगड़ा करते हैं उनपर अविश्वास करते हैं. आप अपने मन की बात में इस बारे में ज़रूर बताएं.

अब यह फ़ोन कॉल सुनने के बाद मुझे पक्का विश्वास है कि आप चौंक भी गए होंगे, चौकन्ने भी हो गए होंगे और हो सकता है कि आगे से ऐसी गलती न करने का मन में तय भी कर लिए होंगे. क्या आपको नहीं लगता है कि जब हम अपने घर के आसपास कोई सामान बेचने आता है, कोई फेरी लगाने वाला आता है, किसी छोटे दुकानदार से, सब्जी बेचने वालों से हमारा संबंध आ जाता है, कोई ऑटो रिक्शे वाला से हमारा संबंध आता है, जब भी हमारा किसी मेहनत कश व्यक्ति के साथ संबंध आता है तो हम उससे भाव का तोल मोल करने लग जाते हैं मोल भाव करने लग जाते हैं नहीं इतना नहीं 2 रुपया कम करो 5 रुपया कम करो और हम ही लोग किसी बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो बिल में क्या लिखा है देखते भी नहीं है और धड़ाम से पैसे दे देते हैं इतना ही नहीं शो रूम में साड़ी खरीदने जाएं कोई मोल भाव नहीं करते हैं लेकिन किसी गरीब से अपना नाता आ जाए तो मोल भाव किए बिना रहते नहीं हैं, गरीब के मन को क्या होता होगा यह आपने कभी सोचा है, उसके लिए सवाल 2 रुपए 5 रुपए का नहीं है उसके हृदय को चोट पहुँचाने का है, कि वह गरीब है इसलिए आपने उसकी इमानदारी पर शक किया है. 2 रुपया 5 रुपया आपके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन आपकी छोटी सी आदत उसके मन को कितना गहरा धक्का लगाती होगी अपने कभी सोचा है, मैडम मैं आपका आभारी हूँ आपने इतना हृदय को छू दने वाला फ़ोन कॉल किया और एक मेसेज भी दे दिया. मुझे विश्वास है कि मेरे देशवासी भी गरीब के साथ ऐसा व्यवहार करने की आदत होगी तो ज़रूर छोड़ देंगे.

मेरे प्यारे नौजवान साथियों, 29 अगस्त को पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है. यह महान हॉकी प्लेयर और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद जी का जन्मदिवस है. हॉकी के लिए उनका योगदान अतुलनीय था. मन इस बात का स्मरण इसलिए करवा रहा हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ कि देश की नई पीढ़ी खेल से जुड़े. खेल हमारे जीवन का हिस्सा बने, अगर हम दुनिया के युवा देश हैं तो हमारी यह तरुनाएं खेल के मैदान में भी नज़र आनी चाहिए. स्पोर्ट्स यानि फिजिकल फिटनेस, मेंटल अलर्टनेस, पर्सनालिटी एनहांसमेंट मैं समझता हूँ इससे ज्यादा क्या चाहिए, खेल एक प्रकार से दिलों का मेल है एक बहुत बड़ी ज़रूरत है, देश की युवा पीढ़ी खेल जगत में आगे आए. और आज कंप्यूटर के युग में तो मैं आगाह भी करना चाहता हूँ प्लेयिंग फील्ड प्ले स्टेशन से ज्यादा महत्वपूर्ण है. कंप्यूटर पर फीफा खेलिए लेकिन बाहर मैदान में भी फुटबॉल से साथ भी करतब करके दिखाइए. कंप्यूटर पर क्रिकेट खेलते होंगे लेकिन खुले मैदान में आसमान के नीचे क्रिकेट खेलने का आनंद कुछ और ही है, एक समय था जब परिवार के बच्चे बाहर जाते थे तो माँ पहले पूछती थी कि वापस कब आओगे आज हालत यह हो गयी है कि बच्चे घर आते ही कोने में कार्टून टीवी पर देखने में लग जाते हैं या मोबाइल गेम पर चिपक जाते हैं, और तब माँ को चिल्ला कर कहना पड़ता है तू कब बाहर जाएगा वक़्त वक्त की बात है. वह भी एक ज़माना था जब माँ बेटे को कहती थी कि कब आओगे और आज यह हाल है कि माँ को कहना पड़ता है कि बेटा तुम बाहर कब जाओगे.

नौजवान दोस्तों, खेल मंत्रालय ने खेल प्रतिभा की खोज और उन्हें निखारने के लिए एक स्पोर्टस टैलेंट सर्च पोर्टल तैयार किया है, जहाँ पूरे देश से कोई भी बच्चा जिसने खेल के क्षेत्र में कुछ उपलब्धि हासिल की है, उनमें टैलेंट हो, वह इस पोर्टल पर अपना बायो डाटा या वीडियो अपलोड कर सकता है, सिलेक्टेड इमर्जिंग प्लेयर्स को खेल मंत्रालय ट्रेनिंग देगा और मंत्रालय कल ही इस पोर्टल को लांच करने वाला है.

हमारे नौजवानों के लिए जो ख़ुशी की खबर है कि भारत में 6 से २८ अक्टूबर तक फीफा अंडर 17 वर्ल्ड कप का आयोजन होने जा रहा है. दुनिया भर से 24 टीमें भारत को अपना घर बनाने जा रहे हैं, आइए विश्व से आने वाले हमारे नौजवान मेहमानों का खेल के उत्सव के साथ स्वागत करें. खेल को एन्जॉय करें. देश में एक माहौल बनाएं.

जब मैं आज खेल की बात कर रहा हूँ, तो पिछले हफ्ते एक मेरे मन को छू जाने वाली घटना घटी, देशवासियों के साथ शेयर करना चाहता हूँ. मुझे बहुत ही छोटी आयु की कुछ बेटियों से मिलने का मौक़ा मिला और उसमें से कुछ बेटियां तो हिमालय में पैदा हुई थीं, समंदर से जिनका कभी नाता भी नहीं था, ऐसी हमारी देश की छ बेटियां जो नेवी में काम करती हैं, उनका जज्बा, उनका हौसला, हम सबको प्रेरणा देने वाला है, यह छ बेटियां एक छोटी सी बोट ले करके “आईएनएस तारिणी” उसको लेकर के समुन्द्र पार करने के लिए निकल पड़ीं. इस अभियान का नाम दिया गया है “नाविका सागर परिक्रमा” और वे पूरे विश्व का भ्रमण करके महीनों के बाद कई महीनों के बाद वापस लौटेंगी, कभी एक साथ 40-40 दिन पानी में बिताएंगी, कभी 30-30 दिन पानी में बिताएंगी, समन्दर की लहरों के बीच, साहस के साथ, हमारी यह छ बेटियां. और यह विश्व में पहली घटना हो रही है. कौन हिन्दुस्तानी होगा जिन्हें हमारी इन बेटियों पर नाज़ न हो, मैं इन बेटियों के जज्बे को सलाम करता हूँ, और मैं ने उनसे कहा है कि वह पूरे देश के साथ अपने अनुभवों को साझा करे. मैं भी नरेंद्र मोदी एप्प पर उनके अनुभवों के लिए एक अलग व्यवस्था करूंगा, ताकि आप ज़रूर उसे पढ़ पाएं, यह एक प्रकार से साहस कथा है. स्व-अनुभवों की कथा होगी, मुझे ख़ुशी होगी इन बेटियों की बातों को आपतक पहुँचाने में, मेरी इन बेटियों को बहुत बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत आशीर्वाद.

मेरे प्यारे देशवासियों, 5 सितम्बर को हम सब, शिक्षक दिवस मनाते हैं. हमारे देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति राधा कृष्णन की का जन्म दिन है. वह राष्ट्रपति थे, लेकिन जीवनभर उन्होंने अपने आप को एक शिक्षक के रूप में ही प्रस्तुत करते रहे. वह हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीना पसंद करते थे. वह शिक्षा के प्रति समर्पित थे. शिक्षा के प्रति समर्पित थे, एक अध्येता, एक राजनयिक, भारत के राष्ट्रपति लेकिन हर पल एक जीते जागते शिक्षक. मैं उनको नमन करता हूँ. महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था “ इट्स सुप्रीम आर्ट ऑफ़ टीचर टू अवेकेन जॉय इन क्रिएटिव एक्सप्रेशन एंड नॉलेज. अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव, और ज्ञान का आनन्द जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है. इस वर्ष जब हम शिक्षक दिवस मनाएंगे, क्या हम सब मिलकर एक संकल्प कर सकते हैं? मिशन मोड में एक अभियान चला सकते हैं? टीच टू ट्रांसफॉर्म, एडूकेट टू एमपावर, लर्न टू लीड, इस संकल्प के साथ आप इस बात को आगे बढ़ा सकते हैं क्या? हर किसी को 5 साल के लिए किसी संकल्प से बांधिए उसको सिद्ध करने का रास्ता दिखाइए, और पांच साल में वह पाकर रहे जीवन में वह सफल होने का वह आनंद पाए ऐसा माँ को हर स्कूल हमारे कॉलेज हमारे शिक्षक हमारे शिक्षा संस्थान यह कर सकते हैं. और हमारे देश में जब हम ट्रांसफॉर्मेशन की बात करते हैं तो जैसे परिवार में माँ की याद आती है वैसे ही एक समाज में शिक्षक की याद आती है. ट्रांसफॉर्मेशन में शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका है हर शिक्षक के जीवन में कहीं न कहीं ऐसी घटनाएं हैं कि जिसकी सहज प्रयासों से किसी के जिंदगी की ट्रांसफॉर्मेशन में सफलता मिली हो. अगर हम सामूहिक प्रयास करेंगे तो हम राष्ट्र के ट्रांसफॉर्मेशन में बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे. आइए, टीच टू ट्रांसफॉर्म इस मन्त्र को लेकर चल पड़ें.

प्रणाम प्रधानमंत्री जी, मेरे नाम है अनन्या अवस्थी और मैं मुंबई शहर की निवासी हूँ और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की इंडिया रिसर्च सेण्टर के लिए काम करती हूँ. एक रिसर्चर के तौर पर मेरी विशेष रुचि रही है वित्तीय समावेशन में जिसको हम फाइनेंसियल इन्क्लूजन कहते हैं इनसे रिलेटेड सोशल वेलफेयर स्कीम को लेकर. मेरा आपसे प्रश्न यह है कि २०१४ में जो जन धन योजना लांच हुई क्या आप यह कह सकते जो आंकड़े यह दिखाते हैं कि आज तीन साल बाद भारतवर्ष फाइनेंसियली ज्यादा सिक्योर है या ज्यादा सशक्त है? और क्या यह सशक्तिकरण और सुविधाएं हमारी महिलाओं को, किसानों को, मज़दूरों को गाँव और कस्बों तक भी प्राप्त हो पाए हैं? धन्यवाद!

मेरे प्यारे देशवासियों, जो प्रधान मंत्री जन धन योजना फाइनेंसियल इन्क्लूजन यह भारत में नहीं पूरे विश्व में आर्थिक जगत के पंडितों की चर्चा का विषय रहा. २८ अगस्त २०१४ को मन में एक सपना लेकर इस अभियान को प्रारंभ किया था. कल २८ अगस्त को इस प्रधान मंत्री जन धन योजना के अभियान को तीन साल हो रहे हैं. तीस करोड़ नए परिवारों को इसके साथ जोड़ा है, बैंक अकाउंट खोला है, दुनिया के कई देशों की कुल आबादी से भी यह संख्या अधिक है, आज मुझे एक बहुत बड़ा समाधान आया है कि तीन साल के भीतर भीतर समाज के उस आखरी छोर पर बैठा हुआ मेरा गरीब भाई देश की अर्थ व्यवस्था के मूल धारा का हिस्सा बना है. उसकी आदत बन गयी है, वह बैंक में आने जाने लगा है, वह पैसों की बचत करने लगा है, वह पैसों की सुरक्षा महसूस कर रहा है, कभी पैसे हाथ में रहते हैं, जेब में रहते हैं, घर में हैं तो फालतू खर्च करने का मन करता है, अब एक संयम का माहौल बना है और धीरे धीर उसको भी लगने लगा है पैसे कहीं बच्चों के काम आ जाएंगे. आने वाले दिनों में कोई अच्छा काम करना है तो यह पैसे काम आ जाएंगे, इतना ही नहीं, जो गरीब अपने जेब में रूपए कार्ड जब देखता है तो अमीरों की बराबरी में अपने आपको पाता है. उनके जेब में भी क्रेडिट कार्ड है, मेरे जेब में भी रूपए कार्ड है, वह एक सम्मान का भाव महसूस करता है, प्रधान मंत्री जन धन योजना में हमारे गरीबों के द्वारा करीब ६५ हज़ार करोड़ रुपया बैंकों में जमा हुआ. एक प्रकार से गरीबों की यह बचत है. यह आने वाली दिनों में उसकी ताक़त है, और प्रधान मंत्री जन धन योजना के साथ जिसका अकाउंट खुला, उसको इन्शुरन्स का भी लाभ मिला है प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना, 1 रुपया, 30 रुपया बहुत मामूली सा प्रीमियम आज वह गरीबों की जिंदगी में एक नया विश्वास पैदा करता है. कई गरीब परिवारों में एक रूपए के बीमा के बदले जब परिवार पर संकट आया, जब परिवार के मुखिया का जीवन अंत हो गया, कुछ ही दिनों में 2 लाख रुपए उसको मिल गए. प्रधान मंत्री मुद्रा योजना, स्टार्ट अप योजना, स्टैंड अप योजना, दलित हो, आदिवासी हो, महिला हो पढ़ लिख कर निकला हुआ नौजवान हो अपने पैरों पर खड़े हो कर कुछ करने के इरादा करने वाले नौजवानों करोड़ों करोड़ नौजवानों को प्रधान मंत्री मुद्रा योजना से बैंकों से बिना कोई गारंटी पैसे मिले और वह स्वयं अपने पैरों पर खड़े हुए. इतना ही नहीं, हर किसी ने एकाक दो को रोज़गार देने का सफल प्रयास भी किया है.

पिछले दिनों बैंक के लोग मुझसे मिले थे जन धन योजना के कारण, इन्शुरन्स के कारण, रुपए कार्ड के कारण, प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के कारण सामान्य लोगों को कैसा लाभ हुआ है उनहोंने उसका सर्वे करवाया और बड़ी प्रेरक घटनाएं मिली हैं, आज उतना समय नहीं है लेकिन मैं ज़रूर ऐसी घटनाओं को बैंक से लोगों को कहूँगा कि वह MyGov.in पर उसको अपलोड करें. लोग उसे पढ़े, लोगों को उनसे प्रेरणा मिलेगी कि कोई योजना व्यक्तिगत जीवन में कैसे ट्रांसफॉर्मेशन लाता है कैसे नई उर्जा भरता है, कैसे विश्वास भरता है इसके सैकड़ों उदाहरण मेरे सामने हैं. आपतक पहुँचाने का मैं पूरा प्रयास करूंगा, और ऐसी प्रेरक घटनाएं ही मीडिया के लोग भी इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं. ऐसे लोगों से इंटरव्यू करके नई पीढ़ी को नई प्रेरणा दे सकते हैं.

मेरे प्यारे देशवासियों, फिर एक बार आपको मिच्छामी दुक्कड़म

बहुत बहुत धन्यवाद!

आप इसका अंग्रेज़ी यहाँ पढ़ सकते हैं.

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