
नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर तीव्र विरोध के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने सिविल सर्विस परीक्षा में बैठने के लिए अधिकतम उम्र को कम करने की संभावना को खारिज कर दिया है। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जिसके तहत सरकार तत्काल इस परीक्षा में बैठने की उम्र के लिए नए मानक तैयार कर रही है। यह परीक्षा यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन की ओर से आयोजित होती है।
दरअसल मौजूदा विवाद की शुरुआत नीति आयोग की उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद हुई थी, सामान्य वर्ग के कैंडिडेट्स के लिए परीक्षा में बैठने की उम्र को 32 से घटाकर 27 करने की अनुशंसा की गई है।
बात है कि नीति आयोग ने सिविल सर्विस परीक्षा में सुधार का रोडमैप पीएमओ के कहने पर ही तैयार किया था। इसमें उम्र को घटाने के अलावा लैटरल इंट्री पर अधिक जोर और एकीकृत परीक्षा लेने की अनुशंसा थी। हालांकि चुनाव को देखते हुए सरकार ने इन सुझावों को अमल में लाने से पैर पीछे खींच लिए।
रिपोर्ट सामने आने के बाद ही खासकर हिंदी पट्टी में स्टूडेंट्स ने बड़ा विरोध शुरू कर दिया था। पिछले दिनों एसएससी और सिविल सर्विस परीक्षा में अलग-अलग बदलाव को लेकर छात्रों का बड़ा आंदोलन हो चुका है।