
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि वह फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत की जानकारी उसे 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे।
सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इन लड़ाकू विमानों कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है।
न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे। पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। याचिकाकर्ता इस पर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं।
न्यायालय ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण की ओर से रफ़ाल मामले में FIR दर्ज करने और जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। इनका आरोप कि फ़्रांस से रफ़ाल लड़ाकू विमानों की ख़रीद में केंद्र की मोदी सरकार अनियमितता बरती है। इस सुनवाई में आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह की ओर से दायर याचिका को भी शामिल किया गया।
भारत सरकार रफ़ाल सौदे में भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को नकारती रही है. सौदे पर सवाल उठने के बाद सितंबर में भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि कैग (भारत के महालेखापरीक्षक) इस समझौते की क़ीमत की जांच करेगी कि एनडीए का रफ़ाल समझौता अच्छा है या यूपीए का समझौता अच्छा था।