
राफेल सौदे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप ज़ारी है जहाँ इस जवलंत मुद्दे पर भाजपा सरकार पर कई सवाल खड़े हो चुके हैं। इसी दौरान राफेल डील को लेकर एक और नया मामला सामने आया हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से कहा गया है कि उन्हें नहीं पता कि पिछले राफेल सौदा रद्द हो गया है।
एचएएल की ओर से कहा गया है कि उन्हें नहीं पता था कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पिछला राफेल सौदा रद्द किया जा चुका है और फ्रांसीसी कंपनी दासो एविएशन के साथ नए सिरे से सौदा तय किया गया है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में एचएएल के चेयरमैन आर. माधवन ने कहा है, ‘हमें पिछले सौदे को रद्द किए जाने की जानकारी नहीं थी। राफेल पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्योंकि अब हम इस सौदे का हिस्सा नहीं हैं।’
राफेल एयरक्राफ्ट निर्माण का हवाला देते हुए माधवन ने कहा, ‘हम अब उस कारोबार में शामिल नहीं हैं। राफेल उन परियोजनाओं में से एक थी जिसमें हम शामिल थे और यह हमारी एकमात्र परियोजना नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि जैसा कि राफेल सौदे में सरकार सीधे शामिल थी इसलिए एचएएल इसकी कीमत और नीतियों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने फ्रांस की कंपनी दासो एविएशन के साथ 125 राफेल विमानों का सौदा किया था। हालांकि इस सौदा को बीच में ही रद्द कर दिया गया।
इसके बाद नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने वर्ष 2015 में फ्रांस की सरकार के साथ 125 के बजाय सिर्फ़ 36 राफेल विमानों की ख़रीद की गई इसकी अनुमानित कीमत 54 अरब डॉलर है। हालांकि इस डील के बाद मोदी सरकार की ओर से उन्हीं विमानों के लिए ज़्यादा कीमत चुकाए जाने का आरोप है।