
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ईसाईयों के एक कार्यक्रम में कहा कि धर्मांतरण चिंता का विषय है और केवल नंबर बढाने के लिए यह नहीं किया जाना चाहिए.
जनसत्ता की खबर के अनुसार, केन्द्रीय मंत्री राष्ट्रीय ईसाई महासंघ द्वारा आयोजित समारोह में शरीक हुए थे. इस कार्यक्रम में उनहोंने कई बात कही. उनहोंने ईसाई संगठन की ओर इशारा करते हुए कहा कि “आप लोगों को प्रबुद्ध बनाना चाहते हैं यह तो ठीक है. लेकिन जो आप नंबर बढ़ाने के चक्कर में पड़े हुए हैं उसकी मंशा किस पर राज करना है?
उनहोंने कहा कि “मैंने कभी अपने जीवन में जाति, वर्ण और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है. हमें वोट मिले या न मिले. हम सरकार बनाएं या नहीं बनाएं. हम जीते या हारें. लेकिन हम लोगों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे. यही हमारे प्रधानमंत्री का कहना है.
सिंह ने कहा कि प्रेम के बिना शासन नहीं किया जा सकता. शासन प्रेम से ही किया जा सकता है. अगर कोई इंसान किसी धर्म को अपनाना चाहता है तो उसे ऐसा करना चाहिए. इस पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर सामूहिक धर्मांतरण शुरू होता है तो बड़ी संख्या में लोग धर्म बदलना शुरू कर देते हैं तो यह किसी भी देश के लिए चिंता की बात हो सकती है.
मोदी सरकार के आने के बाद पूरे देश में इसाई समुदाय पर भी हमला बढ़ा है. देश में कई स्थानों पर धर्मांतरण का मामला बनाकर पुलिस ने गिरफ्तारियां भी की हैं. मोदी सरकार के आने के बाद अल्पसंख्यक समुदायों में डर का हवाला देते हुए उनहोंने कहा कि लोगों के बीच डर की भावना भरने की कोशिश की गयी. लोगों के बीच यह भ्रम पैदा किया गया कि भाजपा आ गया अब यह होगा वह होगा. उनहोंने कहा हम डर के साथ देश नहीं चलाना चाहते बल्कि हम विश्वास के साथ देश चलाना चाहते हैं.