
1992 में मंडल कमीशन पर फैसला देने वाले और आरक्षण सीमा 50 फीसदी निर्धारित करने वाले जजों में शामिल पूर्व जस्टिस एएम अहमदी ने मोदी सरकार के इस क़दम को सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के खिलाफ बताया है
कल लोक सभा में मोदी सरकार द्वारा हिन्दू सवर्णों के साथ साथ मुस्लिम अशराफ और ईसाईयों को शिक्षा और रोज़गार में 10% आरक्षण देने वाले बिल को संशोधन पर पास कर दिया गया. आज इसे राज्य सभा में पेश करना है और ऐसा लगता है कि कांग्रेस की मदद से इसे पास कर दिया जाएगा. अब इसी के साथ दलितों और पिछडो के साथ अगड़ो को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
असल में आरएसएस की यह शुरू से मंशा रही है कि जाती के आधार पर आरक्षण समाप्त करके आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके को आरक्षण का लाभ मिले. सुनने में यह बहुत ही सुनहरा और जातिमुक्त समाज बनाने के प्रयास की ओर अग्रसर लगता है. हालांकि यह इतना सुनहरा नहीं है.
आज इसी पर दलित नेता और गुजरात के एमएलए जिग्नेश मेवानी ने ट्वीट करके अपना डर व्यक्त किया है. उनहोंने लिखा “RSS के लोगों से बात हुई- भाजपा 10% ग़रीबों को आरक्षण क्यों दे रही है? जो पता चला वो बेहद ख़तरनाक है। RSS जाति आरक्षण के हमेशा से ख़िलाफ़ रही है। अभी पहले चरण में संविधान संशोधन करके आर्थिक आधार शुरू करेंगे। फिर SC, ST और OBC का सारा आरक्षण ख़त्म करके केवल आर्थिक आधार रखेंगे”
RSS के लोगों से बात हुई- भाजपा 10% ग़रीबों को आरक्षण क्यों दे रही है? जो पता चला वो बेहद ख़तरनाक है। RSS जाति आरक्षण के हमेशा से ख़िलाफ़ रही है। अभी पहले चरण में संविधान संशोधन करके आर्थिक आधार शुरू करेंगे। फिर SC, ST और OBC का सारा आरक्षण ख़त्म करके केवल आर्थिक आधार रखेंगे
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) January 9, 2019
इसका समर्थन करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक ने इसे दोबारा ट्वीट किया और लिखा कि उनकी भी लोगों से बात हुई और यह बेहद खतरनाक लगता है. “मेरी कई लोगों से बात हुई। सब लोगों को लग रहा है कि भाजपा कि यही चाल है। बेहद ख़तरनाक।” उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा.
मेरी कई लोगों से बात हुई। सब लोगों को लग रहा है कि भाजपा कि यही चाल है।
बेहद ख़तरनाक। https://t.co/NVZpmRHKQm
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 9, 2019
1992 में मंडल कमीशन पर फैसला देने वाले और आरक्षण सीमा 50 फीसदी निर्धारित करने वाले जजों में शामिल पूर्व जस्टिस एएम अहमदी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है. उनहोंने अपनी आशंका जताते हुए कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के खिलाफ है. उनहोंने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का यह क़दम सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के बिलकुल उलट है.
उन्होंने कहा कि यह महज़ चुनावी स्टंट है. “संविधान के अनुच्छेद 16 के मुताबिक पिछड़ा वर्ग का निर्धारण आर्थिक आधार पर बिलकुल नहीं हो सकता” पूर्व जस्टिस ने आगे कहा.