गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर संजीव भट्ट को हलफ़नाम देना महंगा पड़ा? 22 साल पहले के मामले में जेल में बंद भट्ट को 29 साल पहले के मामले में अब आजीवन कारावास की सज़ा




 

नौकरी से बर्ख़ास्त पूर्व आईपीएस अफ़सर और 22 साल पुराने मामले में जेल में बंद संजीव भट्ट को करीब 29 साल पुराने पुलिस हिरासत में मौत के एक मामले में गुजरात के जामनगर की एक अदालत ने अब उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है.

संजीव भट्ट अभी जेल में बंद हैं. संजीव भट्ट को नार्कोटिक्स के एक मामले में पैसा उगाही के आरोप में पिछले वर्ष 5 सितम्बर को गिरफ़्तार किया गया था. यह गिरफ़्तारी भी उनका 22 साल पुराने मामले में हुआ था. यह दूसरा मामला है जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गयी है.

सितम्बर में उनकी गिरफ़्तारी के बाद से, उनकी पत्नी उनका सोशल मीडिया अकाउंट संभाल रही हैं. इससे पहले संजीव भट्ट सोशल मीडिया पर प्रधान मंत्री मोदी की नीतियों को लेकर बहुत आक्रामक रहे थे. वह भाजपा की नीतियों की भी आलोचना पूरी हिम्मत के साथ कर रहे थे.

गिरफ़्तारी से ठीक पहले उनहोंने पिछले वर्ष 4 सितम्बर को वाराणसी में हुए पुल गिरने को लेकर ट्वीट किया था. वाराणसी में निर्माणाधीन पुल के गिरने से बहुत सारे लोगों की मौत हुई थी. उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है.

“भाजपा का पूरा शीर्ष नेतृत्व कोलकाता में पुल के गिरने को लेकर बहुत ज्यादा बोल रहा था. संयोग से, वाराणसी में हुए पुल हादसे को लेकर कोई चूं भी नहीं कर रहा है.” संजीव भट्ट ने अपने ट्वीट में कहा था. यह उनका गिरफ़्तारी से पहले का अंतिम ट्वीट था.

इसके बाद से उनकी पत्नी ने ट्विटर और फेसबुक पर उनकी जगह ले ली. फेसबुक पर उनहोंने लिखा कि “संजीव को 5 सितम्बर को 22 साल पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. 8 बजे सुबह घंटी बजी. दो पुलिस अधिकारी आए. संजीव ने अपने नौकर से कहा कि उन्हें बिठाओ और चाय के लिए पूछो.

दो पुलिस अधिकारी के बजाए मेरे घर में पूरी पुलिस की यूनिट घुस गयी और आगे और पीछे से हमें घेर लिया. वह बेडरूम में भी घुस रहे थे लेकिन मेरे बेटे ने उन्हें ऐसा करने से रोका.

उनहोंने हमारी निजता का हनन किया. मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया. मुझे उन पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन मैं उन पर तरस कर रही थी. मुझे लगा कि जो वह कर रहे हैं वह उनका मन करने को नहीं कर रहा है. वह अपने बदमाश बॉस की आज्ञा का पालन कर रहे हैं. वह अपनी नौकरी खोना नहीं चाहते….
मैंने खाकी को इतना मजबूर कभी नहीं देखा!

आज की सज़ा पर श्वेता भट्ट ने कहा कि “आज सेशन कोर्ट ने संजीव को उस अपराध की सजा दी है जो उनहोंने कभी किया ही नहीं. उनहोंने अपने इस पोस्ट में कहा कि लोगों के जो समर्थन के शब्द मिले वे उत्साहवर्द्धक रहे लेकिन शब्द से अब काम नहीं चलेगा. अब लोगों को एक्शन में आना चाहिए. अगर आपके समर्थन से उस इंसान पर हो रहे अत्याचार नहीं रुकते हैं तो यह बेमानी है. उस इंसान पर जिसने ईमानदारी से देश की सेवा की है.

क्या था वह मामला जिसमें भट्ट को सज़ा दी गयी?

संजीव भट्ट को जिस मामले में उम्र कैद की सज़ा हुई है वह 29 साल पुराना मामला 1990 का है. उस समय संजीव भट्ट जामनगर में एएसपी यानी असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस थे.

1990 वह समय था जब राम जन्म भूमि को लेकर लाल कृष्ण आडवाणी पूरे देश में रथ यात्रा कर रहे थे. इसी आस-पास आडवाणी को बिहार में रोका गया था. तब बिहार के मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव थे. जिस पुलिस अधिकारी ने आडवाणी को तब गिरफ्तार किया था आज वह भाजपा के सांसद हैं.

आडवाणी की रथ यात्रा रोकने और उनको गिरफ्तार करने के बाद भाजपा और आरएसएस के दुसरे संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. पूरे देश में जगह जगह पर दंगे हो रहे थे. गुजरात उस समय सबसे अधिक संवेदनशील था.

ऐसे में दंगे को नियंत्रित करने की नियत से भट्ट ने 133 लोगों को टाडा कानून के अंतर्गत हिरासत में लिया था. उनमें एक प्रभुदास माधवजी वैशनानी थे. हालांकि बाद में सभी आरोपियों पर से टाडा वापस ले लिया गया था.

प्रभुदास माधवजी वैशनानी को 30 अक्टूबर 1990 को गिरफ्तार किया गया था. प्रभुदास माधवजी वैशनानी के साथ उनके एक और भाई रमेश को भी उठाया गया था. परिवार वालों का कहना है कि दोनो भाइयों को उठाते समय संजीव भट्ट उस पुलिस टीम में शामिल थे.

परिवार वालों के अनुसार दोनों ही भाई गुर्दे के मरीज़ थे. गुर्दे में चोट के कारण प्रभुदास 18 नवंबर की मृत्यु हो गयी जबकि दूसरे भाई रमेशभाई को 15-20 दिनों में अस्पताल से इलाज के बाद के बाद छुट्टी मिल गई.

इसी केस में आज 29 साल के बाद जामनगर की एक अदालत ने भट्ट को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है.

वर्तमान सरकार के निशाने पर क्यों हैं संजीव भट्ट?

संजीव भट्ट ने 2002 में हुए गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़ा किया था. उनहोंने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ मार्च 2011 में कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर गंभीर आरोप लगाए थे.

उनहोंने अपने हलफनामें में कहा था कि मोदी ने पुलिस को कहा था कि हिन्दुओं को अपना गुस्सा निकाल लेने दो. संजीव भट्ट के अनुसार जिस मीटिंग में मोदी ने यह बात कही थी उसमें भट्ट मौजूद थे.

गुजरात दंगे में कई हजार लोगों की हत्या हुई थी. औरतों का बलात्कार और बड़े पैमाने पर आगजनी की गयी थी.

उन्होंने कहा था कि दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) पर उन्हें भरोसा नहीं है.

आज वही नरेन्द्र मोदी देश के प्रधान मंत्री हैं और प्रधान मंत्री के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल है.

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