
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के यौन उत्पीड़न पर कानूनी रूप से बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र की एक अंतरराष्ट्रीय संधि की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें उच्च-स्तरीय सत्र में शिरकत कर सत्यार्थी ने ऑनलाइन बाल पोर्नोग्राफी पर कोई नियंत्रण करने की बात कही है।
बाल यौन उत्पीड़न को ‘‘नैतिक महामारी’’ करार देते हुए सत्यार्थी ने कहा कि ऑनलाइन बाल पोर्नोग्राफी आठ अरब अमेरिकी डॉलर का बड़ा उद्योग बन चुकी है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी कोई संधि नहीं होने के कारण इस पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा जितना दिया जाना चाहिए।
‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन’ सत्यार्थी द्वारा स्थापित एक समूह है जो बच्चों की हिफाजत के प्रयासों के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैश्विक नेताओं और युवाओं को एक साथ लाने का काम करता है।
सत्यार्थी ने कहा कि बाल पोर्नोग्राफी का मुद्दा ‘‘भारत और अमेरिका सहित कई अन्य देशों में कई बुरी चीजें पैदा कर रहा है। कुछ देशों में कानून तो है, लेकिन ऑनलाइन बाल पोर्नोग्राफी पर कोई नियंत्रण नहीं है। कानूनी तौर पर बाध्यकारी संधि का अभाव है।’’
(इनपुट भाषा)