
SC-ST संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी.
याचिका में कहा गया है कि सरकार का नया कानून असंवैधानिक है क्योंकि सरकार ने सेक्सन 18 ए के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाया है जोकि गलत है और सरकार के इस नए कानून आने से अब बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा.
वही याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के केंद्र सरकार के एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को चुनौती दी गई है.साथ ही याचिका में एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक को बहाल करने की मांग की गई है.
इस मामले में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संशोधन कानून प्रभावी हो गया है. इस संशोधन कानून के जरिये एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी गई है जो कहती है कि इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है, और न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है.
आपको बताते चलें कि 20 मार्च की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशव्यापी विरोध हुआ था. जिसके बाद सरकार ने कानून को पूर्ववत रूप में लाने के लिए एससी एसटी संशोधन बिल संसद में पेश किया था और दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.