
धार/भोपाल (मध्य प्रदेश), 29 अप्रैल, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क)| मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग का पर्यटकों को लुभाने वाला विज्ञापन ‘एमपी अजब है, सबसे गजब है’ बड़ा चर्चित हुआ था। अब तो लगता है कि हर मामले में इस राज्य का यही हाल है। अब देखिए, नव आरक्षकों (कांस्टेबल) के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान आरक्षित वर्ग के चयनित उम्मीदवारों के सीने पर ही उनका वर्ग ‘एससी-एसटी’ दर्ज कर दिया गया। गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। धार जिले में पिछले दिनों आरक्षकों की भर्ती का अभियान चला और इन दिनों उनका स्वास्थ्य परीक्षण चल रहा है। यहां आए उम्मीदवारों की पहचान के लिए जिला अस्पताल ने एक अनोखा तरीका अपनाया है। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के सीने पर ही उनका वर्ग दर्ज कर दिया गया।
पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए रविवार को एजेंसी से कहा, “नव आरक्षकों का स्वास्थ्य परीक्षण चल रहा है, पिछली बार किसी तरह की चूक हो गई थी, जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन ने ऐसा किया होगा। हालांकि जांच के आदेश दे दिए गए हैं।”
राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, “धार में आरक्षकों की भर्ती में उत्पन्न हुई विवादास्पद स्थिति की जानकारी मिली है। इस स्थिति की वस्तुस्थिति जानने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं।”
वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एक बयान जारी कर कहा है कि नव आरक्षकों की छाती पर उनकी जाति लिख देना कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि दंडनीय अपराध है। माकपा की मांग है कि ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा, “भाजपा के राज में मनुवादी हरकतों की यह पराकष्ठा है। भाजपा और संघ परिवार अक्सर आरक्षण को खत्म करने की मांग करते रहते हैं। आरक्षकों की छाती पर जाति लिखी जाने की इस प्रक्रिया को तुरंत रोका जाना चाहिए, क्योंकि भर्ती 30 अप्रैल तक चलेगी।”