
भीम आर्मी के संस्थापक और अध्यक्ष चंद्रशेखर उर्फ रावण के ऊपर से रासुका हटाने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है। चन्द्रशेखर रावण को शुक्रवार सुबह 2:45 पर सहारनपुर जेल से रिहा कर दिया गया। जहाँ हजारों की संख्या में दलित नोजवानों ने उनका स्वागत किया।
चन्द्रशेखर रावण को उनके दो साथियों के साथ रिहा करने का आदेश जारी किया गया। जो साथी शिवकुमार जाटव और सोनू साथ शामिल थें। आदेश में चन्द्रशेखर की मां कमलेश देवी के निवेदन पर समय पूर्व रासुका हटा ली गई है. चन्द्रशेखर की रासुका का समय 1 नवंबर को पूरा हो रहा था जबकि उन्हें समय अवधी से पहले ही रिहा कर दिया गया।
जेल से रिहा होने के बाद चन्द्रशेखर ने एक के बाद एक कई खुलासे किये हैं। चंद्रशेखर जेल से बाहर निकलते ही ऐलान किया कि 2019 में भाजपा की सत्ता को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होने कहा कि भाजपा अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन कर समाज को बांटने का काम कर रही है।
इसके साथ ही रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि भाजपा की तरफ से उन्हें कैराना उपचुनाव में पेशकश की गई थी कि वह चुनाव लड़ें तो उन पर लगी रासुका हटा दी जाएगी।
रावण का कहना था कि हमारे साथियों पर जुल्म किए गये उन पर रासुका लगायी गई। अब उनकी लड़ाई को लड़ने के काम को आगे बढ़ाऊंगा, जेल से रिहाई का यह फायदा होगा कि अपने रुके हुए कामों को पूरा करूंगा और सभी को एकजुट करूंगा।
2019 के आगामी चुनाव पर उन्होंने कहा कि भाजपा से किसी एक पार्टी का जीतना बहुुत ही मुश्किल है,इसलिए विपक्ष को गठबंधन करना ही होगा।
गैरतलब रहे कि 9 मई को सहारनपुर में भीम आर्मी के हिंसक प्रदर्शन के मास्टर प्लान तैयार करने का आरोप था। यह प्रदर्शन शब्बीरपुर गाँव में दलितों पर ठाकुरो के हमले के विरोध में किया गया था। इसके बाद सैकड़ो दलित नोजवानों पर मुक़दमे लिखे गए और भीम आर्मी के 50 से ज्यादा कार्यकर्त्ता जेल गए। चन्द्रशेखर पर भी आधा दर्जन मुक़दमे लिखे गए थे। उसके बाद उनपर रासुका लगा दी गई जिसकी अवधि हर 3 महीने बाद बढ़ाई जा रही थी।