
गृह मंत्री अमित शाह की कश्मीर यात्रा के बाद एक बार फिर से कश्मीर में धारा 370 को लेकर बहस छिड़ गयी है. यह बहस दिल्ली से शुरू हो कर अब बिहार भी पहुँच गया है.
राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ने आज सुशील मोदी के कश्मीर बयान पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है. उनहोंने कहा कि कश्मीर से संविधान की धारा 370 को समाप्त करने के पक्ष में बोलने के लिए क्या बिहार में सुशील मोदी प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की ओर से अधिकृत किए गए हैं?
ज्ञात रहे कि बिहार में भाजपा और जद-यू दोनों का कश्मीर से 370 की धारा हटाने को लेकर अलग अलग रुख हैं. जद-यू इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर चुका है और वह भाजपा के खिलाफ है. दोनों की बिहार में साझा सरकार है.
इसी पर राजद नेता ने कहा कि क्या सुशील मोदी का यह बयान नीतीश कुमार को लक्ष्य कर दिया गया है अगर नहीं तो सार्वजनिक रूप से बोलने के पहले मोदी को अपने मुख्यमंत्री का बंद कमरे में मनावन कर लेना चाहिए था.
उनहोंने कश्मीर की स्थिति पर कहा कि पिछले 5 वर्षों में कश्मीर की स्थिति काफी बिगड़ी है. वहां के चैम्बर ऑफ कॉमर्स तथा इंडस्ट्री के पदाधिकारियों ने कहा है कि अमित शाह जी के कश्मीर दौरे से श्रीनगर शहर कराह उठा. सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम से पूरा शहर अस्त व्यस्त हो गया.
उनहोंने कहा कि अमित शाह की इस यात्रा से श्रीनगर के लोगों को 2012 में भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की कश्मीर यात्रा याद आ गई. शिंदे जी मुख्यमंत्री उमर फारूक की निजी गाड़ी में श्रीनगर शहर में घूम रहे थे. मुख्यमंत्री अपनी गाड़ी स्वंय चलाकर गृह मंत्री को शहर घुमा रहे थे. वहां के बाजार में उन्होने खरीदारी की. आम लोगों के साथ बातचीत की. आइसक्रीम खाया, कपड़े खरीदे. कहीं कोई हलचल नहीं हुई. सब कुछ सामान्य था.
आज उसके विपरीत पूरा शहर जैसे ठहर गया था. टूरिज्म के मौसम में लोगों को बेइंतहा परेशानी हुई. इसलिए जरूरत इस बात की है कि पहले कश्मीर के अवाम का भरोसा हासिल किया जाए. उसके बाद ही कोई अन्य बात की जाए. सुशील जी को अपने बड़े नेताओं से इस संदर्भ में पहले बात करनी चाहिए.
सुशील मोदी ने उठाया धारा 370 का मुद्दा
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने अपने ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से धारा 370 पर पुन: विचार करने की अपील की है. इस मुद्दे पर बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक ने कहा है कि 370 के मुद्दे पर जेडीयू का रुख स्पष्ट है और इससे कोई भी समझौता नहीं होगा.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया, ‘पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी, उनकी सिक्युरिटी वापस लेना और टेरर फंडिंग जैसे मामलों में कड़ी पूछताछ का असर है कि 30 साल में पहली बार भारत के गृहमंत्री की कश्मीर यात्रा पर किसी अलगाववादी संगठन ने घाटी में बंद का आह्वान करने की जुर्रत नहीं की.’
पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी, उनकी सिक्युरिटी वापस लेना और टेरर फंडिंग जैसे मामलों में कड़ी पूछताछ का असर है कि 30 साल में पहली बार भारत के गृहमंत्री की कश्मीर यात्रा पर किसी अलगाववादी संगठन ने घाटी में बंद का आह्वान करने की जुर्रत…. pic.twitter.com/Ri7uuITpP5
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) June 27, 2019
उन्होंने कहा, ‘हाल के संसदीय चुनाव में कश्मीर से धारा 370 को हटाने और अलगाववाद पर कड़े रुख के लिए जनादेश मिला है. ऐसे में इस मुद्दे पर परंपरागत नरम रुख रखने वाले दलों को भी पुनर्विचार करना चाहिए. कश्मीर नीति की पहली सफलता के लिए गृहमंत्री अमित शाह को बधाई. ‘
जनता दल युनाइटेड के नेता श्याम रजक ने इस पर कहा कि अगर संसद में 370 को लेकर कोई मुद्दा उठाता है तो जदयू इसका पुरजोर विरोध करेगी.