वायु प्रदूषण से निबटने के लिए गंगा के मैदानी क्षेत्र के राज्य करें साझा प्रयास: सीड




-प्रेस विज्ञप्ति

पटना, 31 अक्तूबर, 2017:बिहार के माननीय उप मुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी ने एयर क्वािलटी मैनेजमेंट पर आयोिजत नेशनल कॉन्फ्रें स का आज उद्घाटन किया और इसकी अध्यक्षता की। सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनजीर् डेवलपमेंट (सीड) द्वारा आयोिजत वायु प्रदूषण पर केन्द्रित इस राष्ट्रीय सम्मेलन का मकसद तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड के सरकार के प्रतिनिधयों के साथ मिल कर एक क्षेत्रीय स्वच्छ वायु कायर् योजना (रिजनल क्लीन एयर एक्शन प्लान) पर विचार-विमर्श करना था। पटना के आयुक्त श्री आनंद किशोर समेत बिहार, झारखंड और यूपी के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के सदस्य-सचिवों व
अन्य विरष्ठ पदािधकिरयों ने इस कॉन्फ्रें स में हिस्सा लिया।

उत्तर प्रदेश सरकार में पयार्वरण मंत्री माननीय श्री दारा सिंह चौहान और झारखंड सरकार में खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामले के मंत्री माननीय श्री सरयू राय ने प्री रिकार्डेड वीडियो मैसेज के ज़रिए सम्मलेन में अपने विचार व सुझाव व्यक्त किए।

एकीकृत क्षेत्रीय स्वच्छ वायु कायर्योजना की जरूरत की विस्तृत व्याख्या करते हुए सीड के सीइओ श्री रमापित कुमार ने कहा कि ‘खराब वायु गुणवत्ता जन स्वास्थ्य संबंधी विकट समस्याएं पैदा कर रही हैं। समय की मांग है कि इस खतरे से अविलंब निबटा जाये। ऐसे में एक सुसंगत नीति के तहत सुपिरभािषत अल्पकािलक, माध्यिमक और दीघर्कािलक कदमों पर आधारित
एक ठोस रीजनल क्लीन एयर एक्शन प्लान के निर्माण के लिए इन तीनों राज्यों को साझा तौर पर काम करना चाहिए।’

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश, तीनों राज्यों में 35 मिलियन की आबादी पर, वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों के संग्रहण के लिए केवल 78 मैन्युअल मॉनिटरिंग सेंटर स्थापित हैं। कई शोध-अध्ययन दशार्ते हैं कि देश में वायु प्रदूषण से निबटने के लिए समय आधारित और एक साझा कार्य योजना के निर्माण में मॉनिटरिंग वर्क की कमी और डाटा उपलब्धता की समस्या सबसे बड़ी बाधा है। इस सन्दर्भ में आइआइटी, कानपुर के सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट साइंस एंड इंजीिनयिरंग के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने कहा कि ‘एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग को बढ़ावा देने की दिशा में हमें इन राज्यों में अधिकाधिक सेंटर स्थापित करने की जरूरत है। साथ ही इस क्षेत्र में स्थित बड़े शहरों के लिए स्रोत संविभाजन अध्ययन (सोर्स एपोशर्मेंट स्टडी) के ज़रिए प्रदूषण के स्रोतों को जानने-समझने के लिए एक व्यापक शोध अध्ययन करना भी अत्यावश्यक है।’ उन्होंने यह सुझाव दिया कि स्वच्छ हवा की महत्ता को समझते हुए उसे एक संसाधन की तरह मानना चाहिए तथा कैलिफ़ोर्निया एयर रिसोर्स बोर्ड की तर्ज़ पर एक बोर्ड के गठन की भी मांग की ताकि भारत के गंगा मैदानी इलाकों में सांस लेने वाली स्वच्छ हवा को सुनिश्चित किया जा सके।

गंगा के मैदानी इलाकों में निजी वाहनों में बेतहाशा वृद्धि और इसके जन स्वास्थ्य पर पड़नेवाले दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरोंमेंट की एक्जीक्यूिटव डायरेक्टर अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि ‘हमारे शहरों में वाहनों द्वारा निकलने वाले विषैले धुएं के संपर्क में आने के परिणामस्वरुप स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। गंगा मैदानी इलाकों में
मोटराइज़ेशन के शुरुआती चरणों में यह ज़रूरी है कि निजी वाहनों पर बढ़ती निर्भरता को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कारर्वाई की जाए। लास्ट मील कनेक्टिविटी के साथ वाली एकीकृत और विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को भी बढ़ावा देने की ज़रुरत है। इसके अलावा ऑन-रोड वाहनों, विशेष रूप से डीजल संचालित और पुराने वाहनों से उत्सजर्न कम करना अत्यंत आवश्यक है।’ उन्होंने इन इलाकों में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वच्छ माने जानेवाले इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में तेजी से काम करने पर जोर दिया।

औद्योिगक प्रदूषण के जिरये मानव स्वास्थ्य पर पड़नेवाले दुष्प्रभावों को मुख्य रूप से रेखांकित करते हुए सीड के प्रोग्राम डायरेक्टर श्री अभिषेक प्रताप ने कहा कि ‘वायु प्रदूषण से करीब 30 लाख लोग सालाना मरते हैं और यही प्रदूषण गंगा के मैदानी क्षेत्रों के करीब 29 शहरों की लगभग 35 मिलियन आबादी पर अपना प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण अपने उत्सजर्न से दूर के इलाकों में स्वास्थ्य व जीवीकोपर्जन पर विपरीत प्रभाव डालता है। हमें अविलंब स्वच्छतर बदलाव के लिए जरूरी प्रमुख चुनौतियों तथा वायु गुणवत्ता पर असर डालनेवाले औद्योगिक उत्सजर्न की स्थिति में कमी लाने के लिए जरूरी वित्तीय, तकनीकी और रेगुलेटरी सपोर्ट की पहचान और उन पर अमल करना चाहिए।’

इस कांफ्रेंस के ज़रिए उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बढ़ते वायु प्रदूषण को रेगुलेट करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकारी एजेंसियों के बीच एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए जरूरी समन्वय तथा प्रमुख क्रियाकलापों को चिह्नित करने में मदद मिली। इस सम्मेलन में प्रमुख वक्ताओं व सहभािगयों में विविध उद्योगों के प्रतिनिधि, पयार्वरण विशेषज्ञ, वरीय वैज्ञानिक, शिक्षाविद, सरकारी प्रतिनिधिगण, थिंक टैंक, रिसर्च और सिविल सोसायटी के प्रितिनिध तथा गणमान्य जन उपिस्थत थे।

कॉन्फ्रेंस में जिन विशिष्ट लोगों की सक्रीय भागीदारी रही और जिन वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए, उनमें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चीफ एन्वॉयरोंमेंट ऑफिसर डॉ राजीव उपाध्याय, आइआइटी कानपुर से प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरोंमेंट की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉय चौधरी, अरबन एमिशन इन्फो के फाउंडर-डायरेक्टर डॉ सरथ गुट्टीटकुंडा, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मैनेजर श्री भागर्व कृष्णा, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरोंमेंट के प्रोग्राम डायरेक्टर श्री प्रियव्रत भाटी, वल्डर् रिसोर्स इंस्टीट्युट में इंटीग्रेटेड ट्रांसपोटर् के हेड श्री पवन मुलुकुटला, ग्रीनवीच नॉलेज सॉल्युशंस के डायरेक्टर डॉ समीर मैथल, बिज़नस स्टैंडडर् के सीनियर जनिलर्स्ट श्री सिद्धार्थ कल्हंस, एएसएआर की कैंपेन डायरेक्टर विनुता गोपाल आदि प्रमुख थे।

 

Liked it? Take a second to support द मॉर्निंग क्रॉनिकल हिंदी टीम on Patreon!