मुजफ्फरपुर यौन शोषण कांड की मीडिया रिपोर्टिंग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं : न्यायालय




उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन शोषण कांड में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगायी गयी रोक हटाते हुये गुरूवार को कहा कि मीडिया रिपोर्टिं पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। इस कांड में आश्रय गृह की अनेक लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण हुआ था।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस कांड की जांच की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के 23 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर इस संबंध में आदेश दिया।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से कहा कि वे यौन शोषण और यौन हिंसा की घटनाओं को सनसनीखेज नहीं बनायें।

शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के रेवाड़ी में हुये सामूहिक बलात्कार की घटना का जिक्र किया था और सवाल किया था कि 19 वर्षीय पीड़ित के बारे में सभी कुछ बयां करने वाले मीडिया घरानों के खिलाफ कानून का उल्लंघन करने के लिये कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।

पटना के एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस सनसनीखेज घटना की जांच के लिये सीबीआई का नया दल गठित करने के उच्च न्यायालय के 29 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत का कहना था कि ऐसा करना इस समय चल रही जांच के लिये ही नहीं बल्कि पीड़ितों के लिये भी नुकसानदेह होगा।

इस आश्रयगृह में यौन शोषण के मामलों की जांच की पटना उच्च न्यायालय निगरानी कर रहा है और उसने 23 अगस्त को जांच के विवरण मीडिया में लीक होने पर नाराजगी व्यक्त की थी और मीडिया को इनका प्रकाशन करने से रोक दिया था।

(सम्भार पीटीआई)

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