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फैज़ अहमद फैज़ की कविता “हम देखेंगे, हम भी देखेंगे” के कुछ शब्दों से है परहेज़ तो इस पैरोडी को अपने इंकलाबी सुरों में शामिल करें

फैज़ अहमद फैज़ की कविता ‘हम देखेंगे, हम भी देखेंगे’ इन दिनों सुर्ख़ियों में है. यह कविता 1979 में लिखी गयी थी और पहली बार 1981 में प्रकाशित हुई। फैज़ ने इस कविता को जनरल […]