
आखिर यह सब कैसे हुआ? : कर्नल की डायरी, पन्ना 7
वह एक निर्णायक रात थी. अंग्रेज़ों का डर और आतंक ख़त्म करने के लिए नेताजी ने एक योजना बनाया था. अब तक वह इस योजना का खाका बना चुके थे. इस खाके के अनुसार उन्होंने […]
वह एक निर्णायक रात थी. अंग्रेज़ों का डर और आतंक ख़त्म करने के लिए नेताजी ने एक योजना बनाया था. अब तक वह इस योजना का खाका बना चुके थे. इस खाके के अनुसार उन्होंने […]
यादों के इस सैलाब में डूबता-उभरता हुआ मैं आज के दिन तक ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के ख्यालों में अपने आप को अगर एक पल भी अलग नहीं कर पाया हूँ […]
‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ के जवानों के हौसले और कामयाबी को देखकर नेताजी ने रेजिमेंट के जवानों को संबोधित करते हुए कहा था – “बहादुरों, यदि तुम इसी तरह डटे रहे तो वह दिन दूर नहीं […]
आशा है कि कर्नल की डायरी का दूसरा पन्ना अच्छा लगा होगा। कर्नल की डायरी का दूसरा पन्ना आज प्रस्तुत है। 29 अगस्त, 1943. यानी आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती होने के एक महिना के बाद मुझे […]
आशा है कि कर्नल की डायरी का पहला पन्ना अच्छा लगा होगा। कर्नल की डायरी का दूसरा पन्ना आज प्रस्तुत है। सन 1943 का एक ख़ुशकिस्मत और ख़ुशगवार दिन था, जब सिंगापुर में पहली बार […]
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