
व्यंग
मेहमाननवाज़ी
-मोहम्मद मंसूर आलम मियां किसी तरह से छल कपट करके मुखिया तो बन गए लेकिन मोहल्ले में उनकी साख लगातार गिर रही है. अपनी साख को बचाने के लिए उनहोंने बड़े सेठ को बुलाया है […]
-मोहम्मद मंसूर आलम मियां किसी तरह से छल कपट करके मुखिया तो बन गए लेकिन मोहल्ले में उनकी साख लगातार गिर रही है. अपनी साख को बचाने के लिए उनहोंने बड़े सेठ को बुलाया है […]
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