
कर्नल की डायरी: उस दिन तो हो गया कमाल (पन्ना 8)
मुझे देखते ही उसने ‘जय हिन्द’ के साथ अभिवादन किया था. हालांकि वह शारीरिक तौर पर कमज़ोर ज़रूर था, लेकिन उसके चेहरे से ख़ुशी टपक रही थी. मैंने उसकी ख़ुशी को लक्ष्य किया था और […]
मुझे देखते ही उसने ‘जय हिन्द’ के साथ अभिवादन किया था. हालांकि वह शारीरिक तौर पर कमज़ोर ज़रूर था, लेकिन उसके चेहरे से ख़ुशी टपक रही थी. मैंने उसकी ख़ुशी को लक्ष्य किया था और […]
यादों के इस सैलाब में डूबता-उभरता हुआ मैं आज के दिन तक ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के ख्यालों में अपने आप को अगर एक पल भी अलग नहीं कर पाया हूँ […]
रंगून के दिनों की याद आज भी रोमांच से भर जाती है. आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती होने वालों का तांता लग गया था. हज़ारों युवक-युवतियों ने अपनी जिंदगी आज़ाद हिन्द फ़ौज को सौंप देने […]
आशा है कि कर्नल की डायरी का दूसरा पन्ना अच्छा लगा होगा। कर्नल की डायरी का दूसरा पन्ना आज प्रस्तुत है। 29 अगस्त, 1943. यानी आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती होने के एक महिना के बाद मुझे […]
कर्नल महबूब अहमद का जन्म 1920 में पटना में हुआ था. उनके पिता डॉक्टर थे, उनकी प्रारंभिक पढाई देहरा दून में हुई। सैन्य शिक्षा राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री देहरादून और इंडियन मिलिट्री अकादमी में हुई. ऑल […]
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