
नई दिल्ली: टीपू सुल्तान की जयंती समारोह पर सियासी हंगामा तेज़ होने लगा है जहाँ भाजपा के कार्यकर्ता ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्नाटक सरकार 2016 से टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है और बीजेपी हर बार इसका विरोध करती आई है. बीजेपी के विरोध के बाद भी कर्नाटक में टीपू सुल्तान की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है.
बीजेपी ने काफी समय पहले ही ये कहा था कि वो टीपू जयंती समारोह का विरोध व्यापक स्तर पर करेंगे. जिसके बाद हुबली, धारवाड़ और शिवमोग्गा सहित कर्नाटक के कई शहरों में धारा-144 लागू कर दी गई है. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. विरोध में बीजेपी और कोडाना नेशनल काउंसिल समेत कुछ अन्य पार्टियों के द्वारा मेडिकरी बंद का आह्वान किया गया है.
कर्नाटक के कई इलाकों से जयंती समारोह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. वहीं, इस मौके पर कर्नाटक अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से मुलाकात की.
जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य कारणों से चलते मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस समारोह से खुद को अलग कर लिया है. उनकी पार्टी जेडीएस (जनता दल सेकुलर) ने भी समारोह से दूरी बनाए रखी है. इस मौके पर मडिकेरी में लोगों ने टीपू जयंती समारोह के विरोध में शहर के श्री ओंकारेश्वर मंदिर में प्रार्थना की और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया है.
आपको बता दें कि 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को भारतीय मुस्लिम समाज अपना नायक मानता रहा है. उन्हें भारतीय राष्ट्रीय एकता के मिसाल के तौर पर पेश करता है. 2015 में जैसे ही कांग्रेस ने इस जयंती को मनाने का ऐलान किया बीजेपी विरोध में कूद पड़ी और लगातार इसे कांग्रेस का तुष्टिकरण कहती रही है. साल 2017 में तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी सत्ता में नहीं आ सकी. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी जरूर बनी, लेकिन 2012 में गंवाई सत्ता को वापस नहीं पा सकी.