
सोशल मीडिया पर यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुए #MeToo अभियान ने जोर पकड़ लिया है. पिछले कुछ सालों में कथित यौन शोषण का शिकार बनीं महिलाओं ने अपने कथित गुनहगारों के नाम सार्वजनिक किए जिसके साथ सोशल मीडिया पर नये नामों की बाढ़ सी आ गई.
वही इस कैम्पेन में विदेश मंत्री राज्य मंत्री एम जे अकबर भी #MeToo कैंपेन में फंस गए हैं. अकबर कई अखबारों और पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं. अकबर पर महिला पत्रकारों की सहमति के खिलाफ कदम उठाने और होटल के कमरों में उनसे असहज करने वाले इंटरव्यू करने के आरोप लगाए गए हैं.
कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि सीनियर जर्नलिस्ट रहे अकबर होटल के कमरे में उनका इंटरव्यू लेते थे और उन्हें अपने बिस्तर और शराब ऑफर करते थे. एक महिला ने हार्वे विन्सिटन्स ऑफ द वर्ल्ड नाम से लिखे पोस्ट में कहा है कि अकबर गंदे फोन कॉल, टेक्स्ट, और असहज करने वाले कॉम्प्लिेंट्स में माहिर हैं.
‘ट्रिब्यून’ की पत्रकार स्मिता शर्मा ने जब सुषमा स्वराज से पूछा कि क्या एमजे अकबर के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
जहाँ एक तरफ सोशल मीडिया पर नए नए नाम जुटे जा रहे है और आरोपों का खुलासा होते जा रहा है इसी बीच उत्तर पश्चिम दिल्ली संसदीय क्षेत्र के सांसद ने कहा कि #MeToo मूवमेंट का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में बीजेपी नेता ने कहा, ‘महिलाएं आम तौर पर किसी व्यक्ति पर इस तरह के आरोप लगाने के लिए दो से चार लाख रुपये लेती हैं, फिर किसी दूसरे व्यक्ति को चुन लेती हैं.’
इस मामले में बीजेपी सांसद उदित राज ने भी टिप्पणी की है. ट्वीट कर कहा, ‘#MeToकैम्पेन जरूरी है, लेकिन किसी व्यक्ति पर 10 साल बाद यौन शोषण का आरोप लगाने का क्या मतलब है? इतने सालों बाद ऐसे मामले की सत्यता की जांच कैसे हो सकेगी? जिस व्यक्ति पर झूठा आरोप लगा दिया जाएगा उसकी छवि का कितना बड़ा नुकसान होगा ये सोचने वाली बात है।गलत प्रथा की शुरुआत है.’
वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी इस कैंपेनिंग को अपना सपोर्ट दे चुकीं हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि कोई भी पीड़ित यौन उत्पीड़न की शिकायत घटना के ’10-15 साल’ बाद भी कर सकता है.