
-समीर भारती
जब पूरा देश कोरोना की मार से जूझ रहा है और हर रोज़ मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है ऐसे में देश में नारद मुनियों का काम अब तक नहीं थमा. रोज़ एक नए शोशे के साथ देश में बवाल फैलाने का काम चपड़गंजुओं द्वारा चालू है. दुःख की बात यह है कि इन चपड़गंजुओं में केवल सडक छाप योद्धा नहीं बल्कि स्टूडियो छाप योद्धा भी शामिल हैं.
तबलीगी जमात का प्रकरण इतना जम कर असर किया कि डॉक्टर जो भगवान के रूप माने जाते हैं वह भी मुसलमानों को अछूत समझ कर इलाज से मना करने लगे. कई ऐसी घटनाएं हुईं जब डॉक्टर और अस्पताल ने मुसलमान मरीज़ का इलाज करने से ही मना कर दिया और कारणवश मृत्यु हो गयी.
दुःख की बात यह है कि बीबीसी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस के पत्रकार भी नफ़रत को ही बेच रहे हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बेगुसराय में चल रही हिन्दू मुसलमान की नफ़रत भरी कहानियों को जगह तो मिली लेकिन उसी बीबीसी की एक महिला पत्रकार ने जब उसी बेगुसराय में एक मुसलमान द्वारा अपने हिन्दू पड़ोसी की जान बचाने के प्रयास का मुद्दा फेसबुक पर उठाया लेकिन उसे बीबीसी में जगह नहीं मिली.
बिहार और झारखंड के रवीश कुमार कहे जाने वाले एक टीवी एंकर और पत्रकार ने मदद कर रहे लड़के के लिए ही अपमानजनक शब्द का उपयोग किया. ऊपर से सेक्युलर वैल्यूज को ज़बरदस्ती ढो रहा पत्रकार अंदर से कितना ज़हरीला होगा अंदाज़ा नहीं लगा सकते. इससे इतर तबलीगी जमात प्रकरण को ओवर टाइम कर के तेव पर चलाया गया. पालघर की घटना को तो बहुत ही ज़ोर शोर से उछाला गया. अंत में दोनों ही मुद्दे ने खुद अपनी मौत से दम तोड़ दिया.
पालघर (Palghar) की घटना के गलत सांप्रदायीकरण की सच्चाई की परत ऑल्ट न्यूज़ नाम की फैक्ट चेकिंग साईट ने खोल दी है.
ऑल्ट न्यूज़ साईट ने जब वीडियो का विश्लेष्ण किया तो पाया कि नफ़रत फैलाने वाले चपड़गंजुओं ने किस तरह से ‘बस ओय बस‘ को ‘मार शोएब मार‘ में बदल कर अल्प संख्यक समुदाय के खिलाफ ज़हर फैलाने का काम किया.
पालघर की घटना यह है कि 16 अप्रैल को तीन लोगों को भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला. यह घटना पालघर ज़िला के कासा थाना के गडचिंचले (Gadchinchale) गाँव की घटना है.
इस घटना के तीन दिन बाद 19 अप्रैल को मोहित भारतीय ने इसका वीडियो शेयर किया और इसमें लिखा कि इस वीडियो को अंत तक देखें जिसमें भीड़ में से कोई कह रहा है ‘मार शोएब मार’ जबकि इस वीडियो को देखने और सुनने के बाद शोएब नाम का कोई उल्लेख नहीं है. अलबत्ता कोई कह रहा है कि बस ओय बस. इस वीडियो को ट्विटर सत्यापित अकाउंट से शेयर किया गया है जिसके लगभग 54 हजार फॉलोअर हैं. इस वीडियो को इस अकाउंट से केवल 20 हजार बार देखा जा चुका है.
इस वीडियो के लास्ट में बहुत ध्यान से सुनें, साफ़ साफ़ एक लड़का बोल रहा है, “ मार शोएब मार “
Listen carefully man inciting another Shoaib fr lynching Hindu saint “maar maar Shoaib maar”#Palghar_Incident pic.twitter.com/aQO8fp3UdY
— Mohit Bharatiya 🇮🇳 #StayHome #StaySafe ! (@mohitbharatiya_) April 19, 2020
फिल्म निर्देशक अशोक पंडित को भी इस वीडियो में शोएब का नाम सुनाई पड़ा और उनहोंने धरा धर कई ट्वीट भाजपा आईटी सेल वालों की तरह ही कर दिया.
When shouting #Akhlaq & blaming Hindus is not communal, then how shouting #Sadhus & blaming #Shoaib is communal. The killers are your favourites Bangladeshis & Rohingyas Mr. Sardesai. Don’t we have the freedom to raise our voice on persecution of Hindus. ? https://t.co/qRSkc2hlC3
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) April 19, 2020
अख़लाक़ और तब्रेज का नाम जपने वाले कहते थे की उनकी हत्या इसीलिए हुई की वो मुसलमान थे !
और आज यही हमको भाषण दे रहे हैं की साधुओं की हत्या को कम्यूनल मत बनाओ!
मैं डंके की चोट पर कहता हूँ की यह हत्या एक बहुत बड़ी साज़िश है और इस लिए हुई है क्यूँ की यह साधु थे ! #palgharlynching— Ashoke Pandit (@ashokepandit) April 20, 2020
विडीओ देख ले !
मारने वाले का नाम शोएब है !
अगर मौलवी होता और मारने वाले का नाम अनुराग होता तो तुने उसको #RSS #Bajrangdal के नाम से बिल फाड़ दिया होता और सड़क पर #hinduterror चिल्लाते हुए नज़र आते ! #PalgharMoblynching #Palghar_Incident https://t.co/SeeB0YM9p4— Ashoke Pandit (@ashokepandit) April 19, 2020
अपने ही एंकर के रेप और आसाराम के आश्रम में लडकी भेजने का आरोपी और लगातार अपने छुटभैया चैनल से समाज में ज़हर घोलने वाले सुरेश चौहान को भी वीडियो में शोएब सुनाई दे रहा है. अच्छी बात यह है हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसको फॉलो नहीं करते.
सुरेश चव्हाण ने अपना ट्वीट संभवतः मिटा दिया जब उसका नफ़रत फैलाने का काम समाप्त हो गया. लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने उसके ट्वीट की स्क्रीनशॉट शेयर की है.
दिल्ली भाजपा मीडिया की सदस्य ऋचा पाण्डेय मिश्रा को भी वीडियो में मार शोएब मार सुनाई दे रहा है. इन्होंने भी अपने ट्वीट के माध्यम से अपना काम निकालने के बाद ट्वीट को हटा दिया.
रिपब्लिक के नाम पर कलंक रिपब्लिक चैनल के मालिक बेदिमाग अर्नब गोस्वामी ने भी इसका खूब प्रचार किया. अर्नब अपने कार्यक्रम में सोनिया गांधी को इन सबके लिए ज़िम्मेदार ठहरा रहा है. अर्नब के इस छोटे से क्लिप को ध्रुब राठी ने शेयर किया है. देखा जा सकता है कि किस तरह अर्नब गोस्वामी हिस्ट्रीया के शिकार दिख रहे हैं.
This is not journalism, it’s straightforward communal hatred. Scaring people on religious lines to incite them.
Please take action @CMOMaharashtra , don’t allow this channel to keep doing this in your state. pic.twitter.com/Cosy4KOueQ
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) April 22, 2020
आश्चर्य की बात यह है कि इस पालघर की घटना में न केवल मुसलमान के खिलाफ नफ़रत फैलाई गयी बल्कि इसाई के ख़िलाफ़ भी नफ़रत फैलाई गयी. इसमें मनोज नाम का यूजर कह रहा है कि पालघर में दो हिन्दू साधुओं की इसाई मिशनरियों के गुंडों ने पीट पीट कर हत्या कर दी.
#PalgharMobLynching
Sadhus R murdered by mobs in front of police.
Police failing to protect them
Media shows little concern for their plight
In the land of Yoga, dis can’t be tolerated & all groups involved must be made strictly accountable#हिन्दू_संतों_की_हत्या_क्यों❓#Palghar pic.twitter.com/AAu5omyIxn— manoj bhai (@ShriManoj9) April 20, 2020
सच्चाई क्या थी?
सच्चाई यह थी कि पालघर में तीन लोगों की हत्या हुई. लोगों ने उन्हें यह समझ कर पीट डाला कि वे चोरी की नियत से लॉक डाउन के दौरान घूम रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनहोंने ग्रामीणों से गुजरात जाने का रास्ता पूछा था. अब तक यह पता नहीं लगा है कि क्या उनके पास लॉक डॉन के दौरान यात्रा करने का पास था.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने ट्विटर अकाउंट से बताया है कि मारने वाले और मरने वाले दोनों एक ही धर्म के थे. भीड़ हिंसा की ऐसी घटनाएं भाजपा सरकार में आम थी.
“हमला करनेवाले और जिनकी इस हमले में जान गई – दोनों अलग धर्मीय नहीं हैं। बेवजह समाज में/ समाज माध्यमों द्वारा धार्मिक विवाद निर्माण करनेवालों पर पुलिस और
@MahaCyber1
को कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।,” महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने इसे ट्विटर के माध्यम से स्पष्ट किया है.
हमला करनेवाले और जिनकी इस हमले में जान गई – दोनों अलग धर्मीय नहीं हैं।
बेवजह समाज में/ समाज माध्यमों द्वारा धार्मिक विवाद निर्माण करनेवालों पर पुलिस और @MahaCyber1 को कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।#LawAndOrderAboveAll— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) April 19, 2020
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि उन तीन हत्याओं में कथित तौर पर शामिल 101 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
मुंबईसे सूरत जानेवाले ३ लोगों की पालघर में हुई हत्या के बाद मेरे आदेश से इस हत्याकांड में शामिल १०१ लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया है। साथ ही उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इस घटना को विवादास्पद बनाकर समाज में दरार बनाने वालों पर भी पुलिस नज़र रखेगी।#LawAndOrder
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) April 19, 2020
महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने 101 लोग जिन्हें हिरासत में लिया गया की सूची भी ट्विटर पर साझा की है.
“पालघर की घटना में पुलिस हिरासत हुए १०१ लोगों की सूची यहाँ सांझा की जा रही है। जो विघ्नसंतोषी इस घटना को धार्मिक रंग देने की पूरी कोशिश कर रहे थे, वह इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें…” उनहोंने ट्विटर पर कहा.
पालघर की घटना में पुलिस हिरासत हुए १०१ लोगों की सूची यहाँ सांझा की जा रही है। जो विघ्नसंतोषी इस घटना को धार्मिक रंग देने की पूरी कोशिश कर रहे थे, वह इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें…#ZeroToleranceForCommunalism#LawAndOrderAboveAll pic.twitter.com/o70b2YNHQq
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) April 22, 2020
वीडियो में भी यह स्पष्ट है कि कोई उसमें शोएब नहीं बोल रहा है. बस ओए बस कहा जा रहा है. एफ़आईआर में उन नामों की सूची भी आ गयी जिसमें कोई नाम मुस्लिम या इसाई नहीं.
पालघर की घटना को फर्जी तौर पर सांप्रदायिक बनाया गया. कईयों ने नफ़रत का व्यापार करके अपने अपने ट्विटर अकाउंट से उस ट्वीट को भी गायब कर दिया. ऐसे में महारष्ट्र सरकार को चाहिए कि उन सब पर भी एफ़आईआर हो और उनके लिए भी सज़ा सुनिश्चित हो जिन्होंने साधुओं की हत्या को अपना राजनैतिक व्यापार बना डाला.
मुझे लगता तो नहीं कि ऐसा होगा. क्योंकि दिल्ली में कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा जैसे लोगों पर कोई एफ़आईआर आज तक नहीं हुआ तो इन पर क्या होगा? फिर भी आशा में ही आस है.
(समीर भारती स्वतंत्र पत्रकार हैं. इनकी टिप्पणी निजी है.)