तीन तलाक़ बिल – नीतीश कुमार का बदलता नज़रिया?




वली रहमानी के बजाए नीतीश कुमार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि कहीं उनका मन फिर से बदल तो नहीं रहा है और अगर बदल रहा है तो क्या वह मुस्लिम वीमेन बिल, 2017 का विरोध करेंगे जिसके ख़िलाफ़ मूलतः इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था.

-समीर भारती

पटना के गांधी मैदान में ईमारत शरिया द्वारा आयोजित दीन बचाव देश बचाव कांफ्रेंस की अभूतपूर्व कामयाबी के बाद कांफ्रेंस के मंच की कमान संभालने वाले डॉ ख़ालिद अनवर को नीतीश कुमार ने एमएलसी का टिकट देकर मुस्लिम समाज में एक नई बहस तो छेड़ी ही है इसने राजनितिक गलियारा में भी हलचल मचा दी है.

इस कांफ्रेंस का पहले से आलोचना करने वाले लोगों को कहने के लिए एक नया शोशा मिल गया और वह लगातार ईमारत ए शरिया के इस कांफ्रेंस की नीयत पर तंज़ कर रहे हैं. कुछ लोगों का यह मानना है कि यह प्रोग्राम असल में जदयू समर्थित था और लोग इस मामले में यह कह रहे हैं कि इसका प्रमाण यह है कि वली रहमानी ने अपने प्रोग्राम में ख़ास तौर पर नीतीश कुमार का शुक्रिया अदा किया. हालांकि बहुत सारे लोगों का यह कहना है कि किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम का ठीक ठाक संचालन हो, इसके लिए शहर और राज्य का प्रशासन ही ज़िम्मेदार होता है और इस संचालन का ठीक ढंग से हो जाना निस्संदेह प्रशासनिक सफलता है जिसके लिए प्रशासन और शासन का आभार व्यक्त करना स्वाभाविक और नैतिक दायित्व है जो वली रहमानी ने निभाया.

राजनीति के जानकार और ईमारत शरिया से करीबी रखने वाले समाजी और राजनैतिक कार्यकर्ता नजमुल हसन नजमी का कहना यह है कि वली रहमानी और कांफ्रेंस की नियत पर जो आरोप लगा रहे हैं वह असल में गलत आदमी को निशाना बना रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें तो नीतीश कुमार से पूछना चाहिए कि आख़िर उनहोंने अपने सबसे सक्रीय कार्यकर्त्ता संजय सिंह का टिकट काट कर डॉ खालिद अनवर को क्यों दे दिया? डॉ खालिद अनवर के बारे में वह कहते हैं कि उनके पास वह सारी खूबियाँ मौजूद हैं जो एक एमएलसी में होना चाहिए. वह डॉक्टरेट और वरिष्ठ पत्रकार हैं और ऐसे लोग ही कानून साज़ कौंसिल के सदस्य हुआ करते हैं.

वहीँ जदयू के अल्प संख्यक प्रकोष्ठ के भूतपूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अहमद इमाम का कहना है कि आख़िर नीतीश कुमार की क्या मजबूरी थी कि उनहोंने खालिद अनवर को एमएलसी चुना? क्या जदयू में लोगों की कमी थी कि उन्हें बाहर के किसी व्यक्ति को एमएलसी बनाना पड़ा. वह इस कांफ्रेंस पर भी सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि ऐसे कांफ्रेंस की ईमारत को कोई ज़रूरत ही नही थी. क्या इससे दीन बच गया? उनका कहना है कि दीन (आस्था) को बचाने के लिए ज़रूरी है कि मुस्लिम समुदाय में अमल (कर्तव्य का भाव) आए और अमल शिक्षा के बगैर नहीं आ सकता. वह कहते हैं कि ऐसा लगता है कि ईमारत अपने मूलभूत सिद्धांतों से भटक गयी है.

वरिष्ठ फ़िल्म निर्माता और राजनैतिक विश्लेषक नवेद अखतर इन सबसे इतर नीतीश कुमार से कुछ प्रश्न पूछना चाहते हैं? वह कहते हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने वाले हैं? उनका कहना है कि क्या खालिद अनवर को अपना एमएलसी चुन कर नीतीश कुमार यह बतान चाहते हैं कि यह कांफ्रेंस उनके छत्र छाया में हुआ था? वह कहते हैं कि उपचुनावों में जिस तरह से नीतीश कुमार को भाजपा ने अपमानित किया है हो सकता है कि ऐसा करके वह भाजपा को कोई सन्देश देना चाहते हों. नवेद कहते हैं कि वली रहमानी के बजाए नीतीश कुमार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि कहीं उनका मन फिर से बदल तो नहीं रहा है और अगर बदल रहा है तो क्या वह मुस्लिम वीमेन बिल, 2017 का विरोध करेंगे जिसके ख़िलाफ़ मूलतः इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था.

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1 Comment

  1. Ho sakta hai is conference se nitish ko kuch faida hota dikh raha ho…ho sakta hai imarat or wali rehmani politically isme involved ho….

    Per as a public(muslim) main ne muslamano me kaafi josh dekha jazba dekha aur ik saath itne musalmano ko dekh ker her ik doosre ko beinteha khushi mehsoos hoti dikhi….her ik insaan doosre insaan ki madad kerte dikha…sab aise the jaise ik doosre ko jaante ho…wo maza wo jazba lajawab tha…aur jab itna maza khushi jazbaat ik sath ho jaye luch 4/5 ghanto me jo kisi mudaat se na hui ho…to kahan waqt rehta hai…yeh sochne ka ki wali rehmani ki niyat kia thi aur imarat sharia ka kia faida hai ya nitish kon hai aur kia chahta hai…hum to musalmaan hain hamein bulaya gaya hum gaye ik sath dua kia Allah paak se sab ne ik sath mil ker aur chale aye khushi khushi aur khud ko bahut hi taza feel ker raha hoon…phir kahan sochon ki imarat ne kia nitish ne kia kia…yeh to phir apne neyat se beimaani hogi….
    Jo log ab is bahes me pade hain shayad unka kaam hi wahi shayad wo sahi bhi ho to hote rahe…hamein to deen aur desh k naam per jisne bulaya hum gaye…aap bulate to bhi aata…

    Anyway…deen bacha desh bachao me hum shamil ho ker khud ko kuch fresh feel ker raha hu….

    Sarwar

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