
लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 245, जबकि विरोध में 11 वोेट पड़े. बिल के पास होने से पहले कांग्रेस, AIADMK और TMC सहित कई पार्टियों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
The Muslim Women Bill (Triple Talaq) 2018 has been passed in the Lok Sabha. pic.twitter.com/7ASFjcWRF3
— ANI (@ANI) December 27, 2018
कांग्रेस ने इस बिल के कुछ प्रावधानों पर असहमति जताई और इसे सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी. लेकिन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दलील दी कि मुस्लिम महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए इस बिल का पास होना जरूरी है.
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महिलाओं के नाम पर लाया गया यह बिल समाज को जोड़ने का नहीं समाज को तोड़ने का बिल है. उन्होंने कहा कि संविधान के मूल्य आधार के खिलाफ सरकार कोई भी कानून नहीं बना सकती है. उन्होंने कहा कि लैंगिग समानता के साथ हम खड़े हैं लेकिन किसी भी कानून में तलाक देने पर पति को मुजरिम घोषित नहीं किया जाता.
AIMIM President Asaduddin Owaisi on #TripleTalaq Bill passed in LS: Yeh kanoon sirf aur sirf Muslim mahilaon ko road par lane ka hai, unko barbaad aur kamzor karna hai or jo Muslim mard hain unko jail mein daalne ka hai. Yahi is Kanoon ka ghalat istemal hoga, aap dekhna. pic.twitter.com/bOoue1KMCX
— ANI (@ANI) December 27, 2018
वहीँ इस बिल को लेकर कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल के खिलाफ नहीं है लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को सजा देनी की है.
सीपीएम के नेता मोहम्मद सलीम ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाना है तो सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगाओ.
Ravi Shankar Prasad, Law Minister in Lok Sabha: 20 Islamic nations have banned #tripletalaq, then why can't a secular nation like India? I request that this should not be looked through the prism of politics https://t.co/W8IhXtPCkP
— ANI (@ANI) December 27, 2018
हालांकि इस बिल पर केंद्र सरकार अपनी दलील पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा, ”20 इस्लामिक देश तीन तलाक को बैन कर चुके हैं, तो भारत जैसा धर्मनिरपेक्ष देश ऐसा क्यों नहीं कर सकता?” इसके साथ ही उन्होंने कहा, ”मैं अनुरोध करता हूं कि इसे राजनीति के प्रिज्म से न देखा जाए.”
वहीँ तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ”मजबूत इच्छाशक्ति के जरिए सती जैसी कुरीति को खत्म किया गया, बाल विवाह के खिलाफ कानून बना, हालांकि इस पर भी शोर मचा था कि ये सब धार्मिक रीति-रिवाज हैं.”