
बेरोज़गारी इतनी बढ़ गयी है कि जो लोग रोज़गार की तलाश कर रहे थे उनहोंने अब तलाशना बंद कर दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि आंकड़ो के अनुसार Labour Force Participating Rate यानी रोज़गार में लगे हुए या लगने की इच्छा रखने वालों की दर जो 2011-12 में 39.5 थी वह कम हो कर 36.9 हो गयी है. इसका अर्थ यह है कि इतने युवाओं को अब भरोसा ही नहीं है कि उन्हें रोज़गार मिलेगा.
देश में बेरोज़गारी बेतहाशा बढ़ गयी है. 2017-18 में यह दर 45 साल में सबसे ज्यादा है. 6.1 प्रतिशत. बताया जा रहा है कि 1972-73 के बाद पहली बार बेरोज़गारी दर इस स्तर पर पहुंची है.
देश में बेरोज़गारी चरम सीमा पर है. सत्ता में बैठे कई नेताओं ने इस समस्या के समाधान के तौर पर पकौड़े बेचने, पान बेचने, गाय पालने का सुझाव भी पिछले दिनों दिया जो सुर्ख़ियों में रहा.
बिजनेस स्टैण्डर्ड ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (National Sample Survey Office) की ओर से किए गए पीरियाडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे (Periodic Labour Force Survey) के हवाले से 6.1 प्रतिशत बेरोज़गारी दर होने की जानकारी दी है. गौरतलब है कि जिस संस्था ने यह जानकारी अभी आम की है उसी संस्था से दो लोगों ने कुछ दिनों पहले ही इस्तीफ़ा दिया था. उनके इस्तीफे के कारणों में एक यह भी था कि संस्था की ओर से बेरोज़गारी दर के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने में देरी की जा रही है.
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नोटबंदी के बाद किसी सरकारी संस्था द्वारा बेरोज़गारी पर यह आंकड़ा पहला और अपडेटेड है. लेकिन अधिकारिक तौर पर इसे अब तक जारी नहीं किया गया है. आठ नवम्बर, 2016 को नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए नोटबंदी के निर्णय से तकरीबन 100 लोगों की मौत हो गयी थी. जानकारों का कहना है कि इतनी ज्यादा बेरोज़गारी बढ़ने का कारण नोटबंदी ही रहा है. बेरोज़गारी के बढ़ने का दूसरा बड़ा कारण जीएसटी भी बताया जा रहा है. जीएसटी से उद्योग जगत में खासकर छोटे और मंझोले व्यापारियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा है.
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों से अधिक शहरी इलाकों में बेरोज़गारी बढ़ी है. ग्रामीण इलाकों में बेरोज़गारी की दर 5.3 प्रतिशत बताई गयी है. जबकि शहरी इलाकों में यह दर 7.8 है. युवाओं में 2017-18 में बेरोज़गारी बढ़कर एक नए रिकॉर्ड तक पहुँच गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में पढ़ी लिखी महिलाओं की बेरोज़गारी दर 2017-18 में 17.3 प्रतिशत रही. 2004-05 में यह 9.7 प्रतिशत थी, जो 2011-12 में 15.2 प्रतिशत हो गयी थी. इन इलाकों में पढ़े लिखे पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 2017-18 में 10.5 प्रतिशत रहा जबकि 2004-05 से 2011-12 के दौरान यह 3.5 से बढ़कर 4.4 प्रतिशत के बीच रहा था. यानी 3.5 से बढ़कर यह अब 10.5 प्रतिशत हो गया.
एलएफ़पीआर यानी Labour Force Participating Rate यानी रोज़गार में लगे हुए या लगने की इच्छा रखने वालों की दर कम हुई है. यह 36.9 पर है, जबकि 2011-12 में यह 39.5 फीसदी थी. यानी कि रोज़गार पाने की कोशिश करने वालों को भी रोज़गार नहीं मिल रहा है.
बेरोज़गारी के इन आकंड़ो पर कांग्रेस अध्यक्ष ने एनडीए की मौजूदा सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि NoMo जॉब्स (यानी नो मोर जॉब्स – रोज़गार ख़तम इसे Narendra Modi जॉब्स भी समझा जा सकता है). “हमारे नेता जी ने हम से हर साल 5 करोड़ रोज़गार का वादा किया था. 5 साल बाद, उनका रोजगार निर्माण का गुप्त तरीके से बाहर आया (leaked) रिपोर्ट कार्ड हादसा निकला. 45 वर्षों में बेरोज़गारी अपने चरम पर है. 6.5 करोड़ नौजवान केवल 2017-18 में बेकार हैं. बेरोज़गारी और मोदी (NoMo) के जाने का समय आ गया है,” उन्होंने ट्वीट किया.
NoMo Jobs!
The Fuhrer promised us 2 Cr jobs a year. 5 years later, his leaked job creation report card reveals a National Disaster.
Unemployment is at its highest in 45 yrs.
6.5 Cr youth are jobless in 2017-18 alone.
Time for NoMo2Go. #HowsTheJobs pic.twitter.com/nbX4iYmsiZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2019
इस पर भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी तंज़ किया है. अपने एक के बाद एक चार ट्वीट में उनहोंने लिखा “भारत की बेरोज़गारी दर 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है. जॉब डाटा की समीक्षा के बाद, संबंधित अधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि वे इसे रिलीज़ करने में देरी होने से नाखुश थे. सरजी, ‘परीक्षा पे चर्चा’ के बाद यह बहुत ही मुश्किल परीक्षा मालूम होता है. राफ़ेल सौदे इत्यादि में बेगुनाह साबित होने के बजाए यह ऐसी ‘कठिन’ परीक्षा है जिसके सही तथ्य मौजूद हैं. हमारे लोग देश के कुछ महत्वपूर्ण और नामचीन नेताओं और उनके उत्तर प्रदेश और बंगाल के लोगों को परेशान कर ध्यान बांटने के लिए फिर से पुराने ढर्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं, खासकर जब चुनाव नज़दीक है. गलत वादे, नीतियाँ और काम, हमारे पास क्या उत्तर हैं सरजी? अंग्रेजी में एक कहावत है…. आप कुछ समय के लिए सभी लोगों को बेवक़ूफ़ बना सकते हैं और कुछ को हमेशा लेकिन आप तमाम लोगों को हमेशा बेवक़ूफ़ नहीं बना सकते. खोदा खैर करे! जय हिन्द!”
India’s unemployment rate is the highest in 45 yrs. After the job data was reviewed, the concerned officials resigned as they were unhappy with delay in the process. Sirji, after ‘Pariksha pe Charcha’ this seems to be the latest tough Pariksha. Instead of coming out clean
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 1, 2019
after the Rafale deal etc. this seems to be the most difficult ‘Pariksha’ based on hard & true facts. Our people are yet again taking the old route of diverting attention, especially when elections are round the corner by harassing some of the important & prominent leaders
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 1, 2019
of our country along with their people from U.P. to Bengal. False promises, policies & performances, what answers do we have Sirji ?
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 1, 2019
There is a proverb in English,….’You can fool all the people some of the time & some of the people all the time, but you cannot fool all the people all the time.
God Bless! Jai Hind!— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) February 1, 2019
सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट में कहा “45 साल या इससे भी ज्यादा समय से लेकर अब तक का बेरोज़गारी का सबसे खराब समय. इसके बावजूद मोदी सरकार यह नकार रही है. 2014 में मोदी का वादा 10 करोड़ नए रोज़गार देना था. सरकार को अधिकारिक तौर पर रोजगार का डाटा और इस पर श्वेत पत्र तुरंत रिलीज़ करना चाहिए.”
Worst ever Unemployment in 45 years, maybe longer. Yet, the Modi govt is in denial. The promise by Modi in 2014 was of 10 crore fresh jobs. Government must release Unemployment Data and a White Paper on Joblessness immediately. https://t.co/GybV6QJJfO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 1, 2019