
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन में एक अपंजीकृत कुली शाहरुख को तिरंगे का अपमान करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया है। 15 अगस्त के बाद एक दिन अपने काम से घर से लौट रहे शाहरुख़ को कहीं पड़ा हुआ मिला था। ठीक 21 दिन बाद 5 सितंबर को शिवसेना के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस आई और उसे राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत गिरफ्तार कर लिया।
दरअसल ये पूरा मामला एक गरीब बिना पढ़े लिखे शख्स की है जिसको तिरंगा का इल्म तक नहीं था। शाहरुख जिस किराए के मकान में रहता था उसमें दरवाजा नहीं था, जिसके चलते धूप घर में आती थी। शाहरुख ने सोचा कि वह इस तिरंगे झंडे को घर के दरवाजे पर लटकाकर अपने 6 लोगों के परिवार को धूप से बचा सकेगा। यही सोचकर शाहरुख ने तिरंगा उठाया और उसे घर लाकर अपने दरवाजे पर परदे की आड़ के तौर पर टांग दिया।
शाहरुख के पिता का कहना है कि ‘मेरा बेटा अगर जानता कि उसने देश का अपमान किया है तो वो ऐसा कभी नहीं करता।’ वहीं शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद पत्नी नगमा ने मीडिया से कहा कि मेरे पति ही घर में कमाने वाले इकलौते व्यक्ति हैं, जो कुली का काम कर थोड़ा बहुत कमा पाते हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद हमारा गुजारा कैसे चलेगा।
वहीं इस पूरे मुद्दे पर शाहरुख के पड़ोसी इकबाल का कहना है कि जो भी शाहरुख ने किया, वह भूल से किया। पुलिस उसे चेतावनी भी दे सकती थी। पड़ोसी इकबाल ने शिवसेना पर मामले को बेवजह तूल देने का आरोप लगाया।
शिवसेना की मुजफ्फरनगर यूनिट के पदाधिकारी लोकेश सैनी का कहना है कि ‘हम इस बात पर यकीन नहीं कर सकते कि वह इतना अनपढ़ था कि अपने राष्ट्रीय ध्वज को ना पहचान सके।
जो जवान देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान करते हैं, उनके शरीर को इस राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाता है। लेकिन शाहरुख के लिए यह सिर्फ कपड़े का टुकड़ा था, जो उसके परिवार को सूरज की गर्मी से बचा रहा था।’ शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राष्ट्रीय ध्वज को कब्जे में ले लिया है।
बता दें कि बीती 11 सितंबर को शाहरुख जमानत पर रिहा होकर अपने घर वापस आया था और उसके अगले दिन से ही शाहरुख और उसका पूरा परिवार घर खाली कर कहीं चला गया है और यह परिवार कहां गया है, इसकी किसी को जानकारी नहीं है।
(साभार- जनसत्ता)