विवेकानंद ने धर्मो की एकता को बढ़ावा दिया : सोनिया




सोनिया गाँधी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कथन 'उठो! जागो! और जब तक लक्ष्य तक नहीं पहुंचे जाओ, तब तक मत रुको' एक समय आध्यात्मिक और राजनीतिक मुक्ति का संकेत था

नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सभी धर्मो के बीच एकता व मनुष्यों की समानता के विचार को बढ़ावा दिया और उनके संदेश को आज के असहिष्णु और घृणा भरे वातावरण में ‘मैग्ना कार्टा’ माना जाना चाहिए। शिकागो की धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के दिए ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ पर सोनिया गांधी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत के महान आध्यात्मिक गुरुओं में से एक के विश्व मंच पर पहुंचना और उनका भाषण भारत के इतिहास में एक गर्व का क्षण था।

उन्होंने कहा, “हर भारतीय के लिए भारत के महान पुत्र के प्रबुद्ध शब्दों को याद करना और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करना गर्व की बात है। उन्होंने अपने शब्दों और कार्यो से हमारे देश और पूरे विश्व के लोगों को प्रेरित किया।”

सोनिया ने कहा कि स्वामी विवेकानंद 1893 में हिंदू धर्म और भारत के प्रतिनिधि के रूप में धर्मों की विश्व संसद में भाग लेने के लिए शिकागो आए थे और भगवद् गीता से उद्धरण दिया था : जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं। सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसके भयानक वंशज हठधमिर्ता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं।

सोनिया ने कहा, “यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 125 वर्ष पहले थी।”

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति के बारे में बात की थी और ‘आज हमें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि हम उन्हीं पूर्वाग्रहों की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनके बारे में स्वामीजी ने कहा था।’

सोनिया गांधी ने स्वामी विवेकानंद का उद्धरण दिया, “हम न केवल सार्वभौमिक सहनशीलता पर विश्वास करते हैं, बल्कि हम सभी धर्मों को सत्य मानते हैं। मुझे इस देश से संबंध रखने पर गर्व है, जिसने सताए हुए लोगों और सभी धर्मों एवं राष्ट्रों के शरणार्थियों को आश्रय दिया है।”

उन्होंन कहा, “स्वामी विवेकानंद का कथन ‘उठो! जागो! और जब तक लक्ष्य तक नहीं पहुंचे जाओ, तब तक मत रुको’ एक समय आध्यात्मिक और राजनीतिक मुक्ति का संकेत था। सभी धर्मों की एकता के विचार को प्रोत्साहित करते समय स्वामीजी ने सभी मनुष्यों के बीच समानता के विचार को भी समान उत्साह से बढ़ावा दिया था।”

सोनिया ने आगे कहा, “मुझे उम्मीद है कि स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार आने वाले समय में हमारा और खासकर हमारे युवाओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे।”

-आईएएनएस

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