पश्चिम बंगाल सरकार का आरएसएस से जुड़े 125 स्कूलों को बंद करने का निर्णय




कोलकाता (पश्चिम बंगाल), 23 फरवरी, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) : टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े 125 स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। राज्य शिक्षा विभाग ने मार्च 2017 में इन स्कूलों को दिए गए एफलिएशन की जांच शुरू की थी। जांच से पता चला कि ये सभी 125 स्कूल तीन ट्रस्टों सारदा शिशु तीर्थ, सरस्वती शिशु मंदिर, और विवेकानंद विद्या विकास परिषद द्वारा चलाए जा रहे हैं। जो विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से एफलिएडेट है। जिसका मुख्यालय लखनऊ में है।



पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में 400 से ज्यादा स्कूल आरएसएस से जुड़े हैं। लेकिन उनमें से 125 स्कूलों के पास नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) नहीं है। उन्होंने कहा, बंगाल में कुछ स्कूल ऐसे हैं जो प्रदेश के शिक्षा सिलेबस के अनुसार नहीं हैं। वे स्कूल हमसे एनओसी नहीं लिए हैं। हम 125 को बंद किया है। हम दूसरे स्कूलों की भी जांच कर रहे हैं। उसके बाद हम कोई फैसला लेंगे। साथ ही चटर्जी ने कहा, हमें 125 नोटिफाइड स्कूलों में से कुछ में छात्रों की कट्टरता के बारे में शिकायत मिली है। मदरसा के बारे में चटर्जी ने कहा, मदरसा मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। कुछ को मान्यता के लिए जांच में लिया गया है। मुझे सही स्थिति पता नहीं है। स्कूल सिलेबस के अनुसार चलेगा। किस धर्म को फोलो नहीं करना चाहिए।

इससे पहले पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि आरएसएस के जो स्कूल शिक्षा देने के नाम पर विद्यार्थियों को लाठी चलाने का प्रशिक्षण देते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ राज्य सरकार समुचित कदम उठाएगी। चटर्जी ने कहा, हमने गोपनीय तरीके से सूचना जुटाई और पाया कि करीब 125 स्कूलों ने हमसे (शिक्षा विभाग से)  नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं लिया है। इन 125 में से ज्यादातर स्कूल उत्तर बंगाल में हैं। ये स्कूल अपने आप चलाए जा रहे हैं। हमने उनसे कहा है कि वे ऐसा नहीं कर सकते।’

उन्होंने कहा कि राजनीतिक समर्थन से ये स्कूल अदालत में चले गए और उन्हें अब राज्य के शिक्षा विभाग से  नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिए बिना काम करने की अनुमति मिल गई है। चटर्जी ने कहा, हम उनके खिलाफ लड़ रहे हैं और जरूरत पड़ने पर हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।’ उन्हेांने कहा कि स्कूल लाठी चलाना सिखाने के लिए नहीं होते। उन्होंने कहा कि लोग स्कूल चला सकते हैं लेकिन शिक्षा देने के नाम पर उनकी सोच कट्टर धार्मिक नहीं की जा सकती। अगर यह हमारे ध्यान में आया तो हम उनकी पहचान कर उनके खिलाफ समुचित कदम उठाएंगे।

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