
-समीर भारती
नई दिल्ली, 25 नवम्बर, 2017 आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री 93 वर्ष के हो गए. अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी शख्सियत का नाम है जो संसद में जब बोलते थे तो उनके विरोधी भी उन्हें गौर से सुनते थे. उनके भाषण भी कवितामय होती थे. रूक रूक कर ऐसे बोलते जैसे दिमाग के अंदर शब्दों की सेटिंग हो रही हो और फिर ज़बान पर वह बात आ रही हो. अटल बिहारी वाजपेयी ने भले ही प्रधानमंत्री पद की गरीमा रखी हो लेकिन उनके मुख से निकली उनकी कुछ बातें उनके व्यक्तित्व को दाग़दार बनाती हैं।
बाबरी मस्जिद के विध्वंस होने से एक दिन पहले 5 दिसम्बर, 1992 को जो उनहोंने कारसेवकों को संबोधित करके कहा वह बाबरी मस्जिद को विध्वंस करने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए काफी था.
उन्होंने कहा:
“सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है उसका अर्थ मैं बताता हूँ. वो कारसेवा रोकता नहीं है. सचमुच में सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिकार दिया है कि हम कारसेवा करें. रोकने का तो सवाल ही नहीं... कल कारसेवा करके अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी. कारसेवा करके सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान किया जाएगा. ये ठीक है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक अदालत में वकीलों की बेंच फैसला नहीं करती आपको निर्माण का काम बंद रखना पड़ेगा. मगर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आप भजन कर सकते हैं, कीर्तन कर सकते हैं. अब भजन कीर्तन एक व्यक्ति नहीं करता. भजन होता है तो सामूहिक होता है. और कीर्तन के लिए तो और भी लोगों की आवश्यकता होती है. भजन और कीर्तन खड़े खड़े तो नहीं हो सकता. कब तक खड़े रहेंगे? वहां नुकीले पत्थर निकले हैं उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो ज़मीन को समतल करना पड़ेगा बैठने लायक करना पड़ेगा. यज्ञ का आयोजन होगा तो कुछ निर्माण भी होगा. कम से कम वेदी तो बनेगी.”
इसी तरह गुजरात दंगे के बाद पूर्व प्रधान मंत्री ने उस समय के मुख्य मंत्री के बारे में जो कहा उसे भी मीडिया ने तोड़ मरोड़ और अच्छे अंदाज़ में पेश किया. मीडिया यह बताती रही कि अटल ने मोदी को चेताया कि उन्होंने दंगे के दौरान अपने राजधर्म का पालन नहीं किया. हालांकि यह बात भी गलत है. उनहोंने कहा था कि “शासक को राजधर्म का पालन करना चाहिए और नरेंद्र भाई वही कर रहे हैं” इस प्रेस कांफ्रेंस में मोदी (तत्कालीन मुख्य मंत्री) वाजपेयी के बगल में बैठे मुस्करा रहे थे. इस कांफ्रेंस में वाजपेयी ने एक प्रश्न के उत्तर में जो कहा वह यह है:
“चीफ मिनिस्टर के लिए मेरा एक ही सन्देश है कि वह राज धर्म का पालन करें. राज धर्म. यह शब्द काफ़ी सार्थक है मैं उसी का पालन कर रहा हूँ. पालन करने का प्रयास कर रहा हूँ. राजा के लिए शासक के लिए प्रजा प्रजा में भेद नहीं हो सकता. न जन्म के आधार पर, न जाति के आधार पर, न संप्रदाय के आधार पर. (इसके बाद नरेंद मोदी कुछ कहते हैं जो सुनाई नहीं देता), मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई यही कर रहे हैं.