
कश्मीरी पंडितों का पलायन घाटी से तब हुआ जब भाजपा के सहयोग से केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर जगमोहन बाद में भाजपा सरकार में मंत्री बने
लाल कृष्णा आडवाणी आज कल अक्सर भावुक हो जाते हैं. ऐसा लगता है कि जब से उन्हें मार्ग दर्शक मंडली में डाला गया है और उनसे उनकी लोक सभा सीट पर चुनाव लड़ने का अधिकार भी भाजपा ने छीन लिया तब से वह अजीब से मुद्रा में नज़र आते हैं. अक्सर जो तस्वीरे आती हैं उनमें आडवाणी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने अच्छे बच्चे की हाथ जोड़े नज़र आते है.
इस बार आडवाणी तब भावुक हुए जब वह विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म शिकारा देखने गए. शिकारा फ़िल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के कश्मीर छोड़ने की कहानी है. फिल्म देखने के बाद आडवाणी रोने लगे और उनके मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही है. ऐसा विधु विनोद चोपड़ा द्वारा इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के बाद हुआ जिसमें आडवाणी समेत कुछ अन्य लोग भी मौजूद थे. इस वीडियो को शूट करके विधु विनोद चोपड़ा ने अपने इन्स्टाग्राम पर डाला है.
विधू विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) फिल्म्स के बैनर तले बनी ‘शिकारा’ (Shikara) एक लव स्टोरी है. यह फिल्म कश्मीर में पंडितों के साथ हुई हिंसा पर आधारित है. इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर आदिल खान और एक्ट्रेस सादिया मुख्य भूमिका में नजर आए हैं. फिल्म को प्रोड्यूस करने के साथ-साथ इसका निर्देशन भी विधू विनोद चोपड़ा ने ही किया है. बीते दिन रिलीज हुई इस फिल्म को दर्शकों से ज्यादा अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल पाया है.
आडवाणी के रोने वाले मुद्रा पर द प्रिंट नामक मीडिया हाउस के संस्थापक और पत्रकार शेखर गुप्ता ने कटाक्ष में एक ट्वीट किया है. ट्वीट में शेखर ने लिखा कि “विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा देखने पर आडवाणी का सिसकना हृदय को छूने वाला, कोई उन्हें बताए कि जब यह सब हुआ तो वीपी सिंह की सरकार थी और भाजपा का उस सरकार को समर्थन था. उनहोंने कश्मीर पंडितों के मसले पर सरकार नहीं गिराई. वह अपनी अयोध्या यात्रा की तैयारी कर रहे थे और सरकार से अपना समर्थन वापस भी लिया तो अयोध्या मसले पर. अयोध्या राजनीती में ज़्यादा फायदे का सौदा था कश्मीरी पंडितों का दुःख नहीं.”
Touching, Advani sobbing at VVC’s Shikara..
Pls remind him that VP Singh was in power then, propped by BJP..
He didn’t pull it down over KPs. He was setting up his rath yatra & pulled down VP Singh later over Ayodhya..
Way more useful politically than plight of Pandits..
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) February 8, 2020
ज्ञात रहे कि 1990 में कश्मीर से आतंक के कारण कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा था. उस समय जगमोहन वहां के गवर्नर थे और भाजपा के सहयोग से केंद्र में वी पी सिंह की सरकार थी. लेकिन कश्मीरी पंडितों को रोकने के लिए किसी ने कोई जतन नहीं किया. जगमोहन बाद में भाजपा में शामिल हुए और वाजपेयी की सरकार में मंत्री बने. हालाँकि भाजपा इस मुद्दे को लगभग 10-15 सालों से लगातार भुना रही है.