
मनोहर पर्रीकर भाजपा आला कमान अमित शाह की सहमती से इसी वर्ष सितम्बर के महीने में अपने दो मंत्रियों फ्रांसिस डिसूज़ा और पांडुरंग मडकैकर को बीमारी के आधार पर अपने मंत्री मंडल से हटा चुके हैं जबकि वह घातक बीमारी से ग्रस्त होने के बाद भी अपने मुख्य मंत्री पद पर बने हुए हैं
नाक में ड्रिप लगाकर गोवा के बीमार मुख्य मंत्री मनोहर पर्रीकर आज गोवा में बन रहे दो पुलों का निरीक्षण करने निकले. तस्वीर से स्पष्ट है कि वह बेहद बीमार हैं और बहुत कमज़ोर भी. उन्हें स्वास्थ्य लाभ की आवश्यकता है फिर भी वह गोवा के मुख्य मंत्री बने हुए हैं. रविवार को सीएम मनोहर पर्रिकर गोवा में बन रहे जुआरी ब्रिज और तीसरे मांडवी ब्रिज का जायजा लेने पहुंचे. समाचार एजेंसी एएनआई ने उनकी ये तस्वीरें जारी की है.
पर्रीकर कई महीनों से बीमार चल रहे हैं लेकिन वह अब तक गोवा के मुख्य मंत्री बने हुए हैं. ऐसी क्या मजबूरी है कि वह गोवा के मुख्य मंत्री बने हुए हैं जबकि उनहोंने भाजपा आला कमान अमित शाह की सहमती से इसी वर्ष सितम्बर के महीने में अपने दो मंत्रियों फ्रांसिस डिसूज़ा और पांडुरंग मडकैकर को बीमारी के आधार पर ही अपने मंत्री मंडल से हटाया है. फ्रांसिस डिसूज़ा पर्रीकर मंत्री मंडल में शहरी विकास मंत्री थे जबकि मडकैकर उनके मंत्रालय में उर्जा मंत्री थे. तब डिसूज़ा का इलाज अमेरिका में चल रहा था जबकि मडकैकर का इलाज मुंबई के अस्पताल में ही चल रहा था.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री ने इस पर ट्वीट करके कहा है कि उनके पाचन तंत्र में नाक के रास्ते नली डाली गयी है. उन्हें इस हालत में काम करवाना और फ़ोटो खिंचवाना कितना आमानवीय है. उन्हें इस दवाब और तमाशा से मुक्त करके अपनी बीमारी से बेहतर तरीके से निबटने क्यों नहीं दिया जा सकता?
He has a tube inserted through his nose into his digestive tract. How inhuman to force him to continue working & doing photo ops. Why can’t he be allowed to deal with his illness without all this pressure & tamasha? https://t.co/iq0dwXCHmE
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 16, 2018
उनकी ये तस्वीरें आने के बाद बहुत सारे लोग उनकी प्रशंसा भी कर रहे हैं जबकि बहुत सारे लोगों का यह भी कहना है कि उन्हें आराम करना चाहिए. उनका इस तरह से काम करना अपने आप में सराहनीय है लेकिन यह प्रश्न स्वाभाविक है कि जब वह अपने दो मंत्रियों को मंत्री मंडल से बीमारी के आधार पर निष्कासित कर सकते हैं तो वह खुद इससे मुक्त क्यों नहीं हो रहे हैं? या फिर भाजपा आलाकमान उन्हें उनकी सेवा से मुक्त क्यों नहीं कर रहे हैं?
मनोहर पर्रीकर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कैंसर से पीड़ीत हैं और उनका इलाज कुछ महीनों के लिए अमेरिका में भी चला. ज्ञात रहे कि राफ़ेल का सौदा इनके रक्षा मंत्री रहते हुए ही शुरू हुआ था. अभी राफ़ेल सौदे को लेकर मोदी सरकार लगातार कठघरे में है और गोवा में भी भाजपा अब कमज़ोर होती नज़र आ रही है.
ऐसे में उनका मुख्य मंत्री पद पर बने रहना उनकी कर्मठता से अधिक अजूबा लगता है.