
तेज बहादुर ने मीडिया को बताया कि वह इस देश के सच्चे चौकीदार हैं और वह फर्जी चौकीदार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
भाजपा के वाराणसी से उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस बार बर्खास्त बीएसएफ़ जवान तेज बहादुर चुनाव लड़ रहे हैं. बहादुर के समर्थन में सैकड़ो रिटायर्ड फौजी वाराणसी में जमा हो चुके हैं. ये सेना और अर्द्ध सैनिक बल के पूर्व जवान और अफसर हैं.
तेज बहादुर बीएसएफ़ के जवान थे जिनके जवानों को दिए जा रहे खराब खाने की शिकायत का एक वीडियो वायरल हो गया था जिसके बाद बीएसएफ़ ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. तेज बहादुर ने वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन भरा है. तेज बहादुर ने मीडिया को बताया कि वह इस देश के सच्चे चौकीदार हैं और वह फर्जी चौकीदार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी चुनावी सभाओं में सेना की शहादत और बालाकोट हमले को लगातार भुना रहे हैं. वह सेना को दिए गए वन रैंक वन पेंशन योजना को भी अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं हालांकि विपक्ष और सेना के कुछ लोगों का कहना है कि मोदी ने ऐसा करके सेना पर कोई एहसान नहीं किया बल्कि यह उनका अधिकार था. सेना का चुनाव में इस्तेमाल को लेकर कई रिटायर्ड सैनिक राष्ट्रपति से भी इसकी शिकायत कर चुके हैं. ज्ञात हो कि भारतीय सेना की तीनों शाखाएँ राष्ट्रपति के अधीन आता है और वही सेना अध्यक्ष होते हैं.
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इन फौजियों की शिकायत है कि वे अपने बड़े अधिकारियों और भ्रष्टाचार के विरोध करने की कीमत अदा कर रहे हैं. इसके बजाय सरकार की तरफ से भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ उनकी शिकायत को नज़रअंदाज़ करके उन्हें ही बर्खास्त कर दिया गया. साल 2001 में रिटायर हुए सेना के 62 वर्षीय हवालदार ओम प्रकाश सिंह ने जनसत्ता को बताया कि “सितम्बर में जिस सर्जिकल स्ट्राइक का गुणगान मोदी कर रहे हैं वह पहला सर्जिकल स्ट्राइक नहीं था. मैं पहले भी पाकिस्तान में ऐसे कई सर्जिकल स्ट्राइक का हिस्सा रह चूका हूँ.
सीआरपीएफ़ से निलंबित 32 वर्षीय पंकज मिश्र कहते हैं “सैनिकों की तरफ से कम से कम 4000 शिकायत दर्ज की गयी हैं. इनमें अधिकारियों की तरफ से अपने घरों पर छोटे छोटे काम करने पर मजबूर किया जाता है. ये सभी शिकायतें पिछले तीन साल से पीएमओ में पेंडिंग है.