
याचिकाकर्ता निवेदिता झा ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में सीबीआई जांच पर सवाल उठाया है
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में अब सीबीआई जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं. पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्त्ता बनी याचिकाकर्ता निवेदिता झा ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि सीबीआई ने चार्जशीट में हत्या और दुष्कर्म जैसे अपराधों की धाराएं ही नहीं जोड़ी.
यह भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर काण्ड में बिहार के मुख्यमंत्री की जांच का आदेश, अदालत ने आरोपी की याचिका पर सीबीआई को सौंपा
सुप्रीम कोर्ट दो सप्ताह बाद उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा. निवेदिता की ओर से वकील फौजिया शकील ने जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया. उनहोंने कहा कि सीबीआई ने 14 आरोपियों के खिलाफ साकेत कोर्ट में जो चार्जशीट दायर की है, वह बेहद हल्के अपराधों की है. इसमें हत्या, दुष्कर्म इत्यादि कई अपराधों की धाराएं दर्ज नहीं हैं. उनहोंने कहा कि बिहार पुलिस द्वारा सही जांच न करने पर मामला सीबीआई को सौंपा गया था. लेकिन अब सीबीआई भी वैसा ही रवैया अपना रही है। शेल्टर हाेम से छुड़ाई गई बच्चियों ने कहा था कि उन्हें बड़े अधिकारियों के पास भेजा जाता था, जहां उनका यौन शोषण होता था.
सीबीआई का रवैया भी बिहार पुलिस जैसा: याचिकाकर्ता निवेदिता
सीबीआई ने इस पहलू की जांच ही नहीं की. आरोपियों के खिलाफ फाॅरेंसिक सबूत सही तरीके से नहीं जुटाए गए. याचिकाकर्ता ने मांग की कि सीबीआई काे बच्चियों के बयानाें की जांच करने और फाॅरेंसिक सबूत जुटाने के निर्देश दिए जाएं. साथ ही बच्चियों की हत्या के आराेपाें पर भी जांच की जाए. साथ ही हर अपराध का ट्रायल अलग से चलाया जाए. उल्लेखनीय है कि दिल्ली के साकेत कोर्ट में सीबीआई ने 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट 30 मार्च को आरोप तय करेगा.
क्या है मुज़फ्फरपुर रेप केस मामला?
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में पिछले साल 31मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, इस बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हुई थी. कुछ की हत्या का भी शक है. बलात्कार की शिकार लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बलात्कार से पहले लड़कियों को नशीली दवाओं का इंजेक्शन देकर उन्हें बेहोश किया जाता था. इसके अलावा लड़कियों के इलाज के लिए बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना हुआ था.
मामला तब सामने आया जब साल 2018 के शुरू में मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
इस मामले का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर है. इसमें बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री मंजू वर्मा जेल जा चुकी हैं और उनका पति अभी भी जेल में है. इसकी सुनवाई दिल्ली में चल रही है.